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Sufinama

प्यारी के मुख म्याने खेल्या बसन्त

कुली कुतुब शाह

प्यारी के मुख म्याने खेल्या बसन्त

कुली कुतुब शाह

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    प्यारी के मुख म्याने खेल्या बसन्त

    फूलाँ हौज़ थे चरके छिड़क्या बसन्त

    बसन्त बास चुन-चन के चुनरी बँधे

    जो उभर के लहरॉ सो आया बसन्त

    जोबन हौज़ में नौरतन रंग भरे

    बसन्त राग गावो सुहाया बसन्त

    रँगा नीद (?) म्यानक बँधे-गलसरी

    गले गुल लडॉ सो दिखाया बसन्त

    नवी बाली कू नली (?) क़दम में भेजे

    प्रीत प्याले भर कर पिलाया बसन्त

    बसन्त की खुमारी नयन मे भरी

    हिंडोले नैन दिल डुलाया बसन्त

    नबी, सदके मैं हू मुहम्मद गुलाम

    नवी रूत सेती रुत मिलाया बसन्त

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