Sufinama

मसनवी इसरार इश्क़

मोमिन दकनी

मसनवी इसरार इश्क़

मोमिन दकनी

MORE BYमोमिन दकनी

    हुवेदा इश्क़ केरा सूर कीता

    दो जग तिस सूर सूँ पुरनूर कीता

    मन्धिर में दिल के दीपक वेकला है

    जुसी का सहन उसी सूँ निर्मला है

    वही सू तजल्ली तनकूँ देता

    भितर कूँ दिल के रोशन लाल कीता

    सूरज होर चाँद होर तारे यो सारे

    उसी के फ़ैज का ख़िलअत झकारे

    जहे तिस फ़ैज़ का बारा भया है

    ज़मीन होर आसमान सब भर रह्या है

    के जे शै जाँव तलक नज़र उनकूँ पहुँचाये

    ............ ............... ............. ....नज़र आये

    लगन जिसका जिस जिस धात सूँ हैं

    नंई किसका खुदा की ज़ात सूँ है

    ताल्लुक़ इश्क़ का ग़ैर अज़ ख़ुदा नंई

    अछों के पन खुदा तिस सोज़ जुदा नंई

    परीखे वे गर इस राज़ का ख़ास

    के जे वहदत की दरिया का है ग़व्वास

    तसव्वुर में हक़ीक़ी होर मजाज़ी

    जुदा कोई क्यों करे यो इश्क़बाज़ी

    चूला गर लाक लकडियाँ लाके सुलगाये

    हण्डी में दूद नंई तो क्यों उबाल आये

    बजे बिन थाल यो आवाज़ क्या है ?

    जो घर नंई है तो यो दरवाज़ा क्या है ?

    उसी सूरज छिपे की ताब है यू

    उसी रोशन देवी की शाब है यू

    जो सूरज है अदम तो ताब काँ की ?

    देवी नंई है तो यू शाब काँ की ?

    इसी जन्नत गर अहे दम पो यू

    वही फ़ैज़ गया रोशन चमन यू

    रमूज़े इश्क़ का नाजुक ख़बरदार

    तनूज़े आशिकी परगट रखनहार

    दरस पा मकतब ख़तम उलवली में

    क़दम रख इश्क़ की रोशन गली में

    विलायत के सूरज का ख़ास इसरार

    ज़माने में करे यूँ लिया के इज़हार

    के जब मेहदी सफ़ा कर सनद कतें

    चल्या इसलाह देता हिन्द कतें

    हुआ कई रूबरू फ़रमान आला

    के खुरशीद बुरहान ताला

    सरासर इल्म सू है हिन्द नुक्सान

    कमालत इल्म का राखे खुरासान

    अजम पर जाके दे वऊक़ (?) का डेरा

    हमें वहाँ नई अम्बराते है तेरा

    वही सूँ पाके अम्र फ़तहयाबी

    चल्या सैयद मुहम्मद कर शिताबी

    ज़मीं पर राजपूता के चल आया

    सर्व भुंई कुफर सू मा मामूर पाया

    के हुई धरती पर थी जब सू बस्ती

    करें कुफ़्फ़ार गौशाला परस्ती

    बड़ी यक सहर पा अख़्तियारी

    हुआ था सामरी हर रोज़ भारी

    यक यक अर्जुन सिफ़त तीराँ कमान धर

    चलावें चर्ख़ के अन्दर जते पर

    बड़े चावाँ सूँ गावाँ पूजते थे

    के पुरूषोत्तम के वाहन पूजते थे

    क़ज़ा ता किया शाह जमा कूच

    चल्या राह खुरासां हुक्म सू पूच

    जल्द चर्चा के अब क़त्ल उस किये बाज

    हुआ जीना मेरे तई हैं हराम आज

    कह्या सोच उट के दोडया फ़ौज के सात

    के जा दिखाऊ कुल ज़रब का हात

    ग़ज़ब सूँ जल्द जा मादर की आकिल

    किया तस्लीम बैठा मुक़ाबिल

    कहा यक तुर्क मुँज मुल्क में पैठ

    ज़िबह कर बैल के तीन पहर रहा बैठ

    रज़ा दी इस तरफ़ मैं जल्दतर जाऊँ

    करूँ उस क़त्ल, या जीता पकड़ ले आऊँ

    कहे कोइ फ़ौज शह दिया चल

    ककर नही तो खुदा सूँ है उसे बल

    कहा तुज हुक्म है मुँज सर ऊपर जान

    अगर है हक़ कहूँ मुज सब कूँ क़ुरबान

    शहन्शा सख़्त हिम्मत सूँ निडर था

    ....... ................ ............. ...................

    यकायक फ़ौज सूँ रजपूत आया

    दर में शाह का चीच के निहाया

    उतर तेजी थे अम्बरा जोड़ कर हात

    धर्या......तेज सूँ अदब सात

    यू अचरज पाके सारे रज के पूताँ

    अटल कुल राज सूताँ

    कहे किस जाम सूँ तूँ चल के आया

    नज़र पड़ते तेरे क्यों लुभाया

    अचम्बक आज तर्ई दीठा सो मुख खोल

    हमारे तंई सरासर खोल कर बोल

    तहय्युर सूँ कह्या दाना-ए इसरार

    के है वह पल का पैदा करनहार

    जिने पैदा किया मार्या उसी ने

    उसे क्यों मारना बोलो किसी ने

    सदाक़त सूँ सभों का कर दिलासा

    रह्या ठाड़ा हुआ मेहदी के पासा

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

    GET YOUR PASS
    बोलिए