Sufinama

किस्ससुल अम्बिया

नूरी

किस्ससुल अम्बिया

नूरी

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    इब्लीसन भुर्ई पर थे हमला किया

    सातों तबक़ सूँ उलंग कर गया

    बहिश्त के जो बैठया जाकर किनार

    तरददुद तलाशी किया ठार ठार

    यो दरवाजे जन्नत के खुलसी तो ना

    क्यों कर होय वहिश्त में जावना

    यहाँ फ़िक्र भई कूच करना अहै

    क़ज़ा सूँ मुहर यक ऊपर आय कर

    बहिश्त के कँगूरे उपर जायकर

    नज़ारा किया मुद्दा वा बैस कर

    इबलीस बैठया है उस ठार पर

    मुहर उसकूँ पूछया के तूँ कौन है

    बहिश्त के किनारे के बैस्या अहै

    इबलीस बोल्या फ़रिश्ता हूँ मैं

    जो यों सैर करता हूँ हर द्वार मैं

    मुहर फिर को पूछया के क्या वास्ते

    तू तहक़ीक़ मुँज बोल जिस वास्ते

    गह्या यों के यक तिल खड़े जाय कर

    बहिश्त फिर को देखूं बरे एक नज़र

    कह्या मुहर हमनॉ कूँ फरमान नर्ई

    बहिश्त में हर एकस के तर्ई जान दर्ई

    कह्या यो हुआ खूब धरता हूँ मैं

    बड़ा काम हर ठार करता हूँ मैं

    दुआ तुजके तर्ई खूब सिकलाऊँगा

    तेरे सात मैं बहिश्त में आऊँगा

    डर्या मुहर होर साप सुन कर यो बात

    मुँझी भार लेकर कह्या उसके सात

    अगर खूब तूँ जानता है दुआ

    तू अलबत्ता यो हुनर मुजकू सिखा

    रज़ा नर्ई कह्या वो जो किसकूँ ले जाय

    ज़र्रा वाट के नर्ई जो तू जाकर आये

    कह्या इस क़दम सूँ जाने सकू

    वले एक हिकमत सू आने सकू

    अगर मुक तूँ टुक पसारे तो आउ

    मुडी गाडने फिर को तू अपने ठाउ

    वहाँ थे जो पलां ज़मीन जाऊँगा

    बहिश्त देक कर वेग फिर आऊँगा

    उसी धात वो सांप मूह खोल्या

    इबलीस जा मूं में पेस्या

    मुँडी साँप ज्यों बहिश्त में लाया

    इबलीस ज्यों बहिश्त में आया

    तब इबलीस पूछया उस साँप कूँ

    मुँजे गेहूँ केरा झाड दिखलाया तूँ

    नको खाब कर मना कीता खुदा

    देखूँ यक नज़र झाड़ कैसा हैगा

    आदम के तर्ई मना कीता है के

    देखूँ गेहू का झाड़ कैसा है के

    बज़ा साँप झाड़ दिखला दिया

    देक झाड़ इबलीस ने फ़न किया

    जो इबलीस उस झाड़ कू देक कर

    वो रोने लग्या ज़ार अरड़ाय कर

    अव्वल कोई समजे थे रोने का नाम

    जो उस वक़्त रोना हुआ सबकूँ फ़ाम

    हव्वा और हूराँ नज़ीक उसके आय

    उसे सारी पूछे तूँ रोता के भाय

    के वह साँप रोता हलूँ यों कह्या

    तुमारे बदल यूँ जो रोता हुआ

    उसे फिर को पूछे के क्या है सबब

    गुनहगार हक़ सू हुए तुम अब

    तुमन कूँ बहिश्त में थे बागा बहार

    दुनिया में तुमें होयगे खारज़ार

    आदम देखन आय उस झाड़ कूँ

    हैराँ हुए देक कर झाड़ कूँ

    जड़ा झाड़ के थे रूपे के तमाम

    डालियॉ अथे सब सोने के तमाम

    थे पाताँ ज़बरजद याकूत के

    जो ज़ेबा निछल खूब सुन्दर दिसे

    उसे देक आदम कूँ बी हवस आई

    अथे दाने भुरिटयाँ सते खुशनुमाई

    कहे या इलाही यो आला जिनस

    मेरे हक़ पो कीता है यो ना जिनस

    कह्या बारी ताला यो बख़्श्या हूँ मैं

    लेकिन यो मेहमान के खाने के तैं

    मेरे घर कू मेहमान जो आयगा

    के यो शीर खुरमाँ बिने खायगा

    अजब है जे जो आय मेहमान हो

    सो क्यों खाय आपना खान जो

    बज़ाँ भई कह्या यों इबलीस

    हव्वा के हुजूर कह्या सू वो खा

    यो गेहूँ खाब उसका ही ले फ़ायदा

    होगा हज़ औरत मरद का अदा

    यो दाने गेहूँ के जे कोई खायगा

    मुल्क होर फ़रज़न्द दुनिया पायगा

    मेरी बात सुन कर गेहूँ खावो तुम

    दुनिया आल औलाद ले पाओ तुम

    यो औलाद की बात सुन खुश हुईं

    गेहूँ खावने का हवस ले गई

    इबलीस के सूँ कौन सच कर पत्यायी

    हव्वा गेहूँ के दाने ऊपर हात बायी

    इबलीस खाया है चुप झूँट सूँ

    तहाँ सूँ हुवा झूट सब जग में तूँ

    हव्वा हात गेहूँ के सटे झाड़ पर

    लिये तीन दाने उनसूँ काट कर

    वहाँ एक दाना अपी खाय हैं

    दो दाने जो आदम के तई ल्याय है

    रखे ल्याको आदम सफ़ी के हुजूर

    झमकता अथा गेहू के दान्या नूर

    तब आदम कहे यूँ के क्या है कहो

    हव्वा खोल बोली हैं वो बात सो

    खुदा मना कीता सो दाने है यो

    मैं यक दाना खाई हूँ तुमना कूँ दो

    बहुत धात आदम जो हैफ़ी किये

    हव्वा कूँ पिरा कर जो यूँ पूछे

    कहे यूँ के लज्ज़त यो धरता है क्या ?

    असर उसके दाने का करता है क्या ?

    खुदा जानते हमना किया है मना

    गिराहट है यो जिन्स हम खावना

    मना हक़ किया है यो ना खाऊँगा

    बहिश्त में थे मैं भार ना आऊँगा

    हव्वा वाँ थे उठ कर जो बेगी शताब

    क़दह भर को लाई जन्नत का शराब

    पिये वह शराब होर दाने कूँ रवा

    खुदा मना कीता सो वादा चुका

    वो तीनी में तन कूँ मस्ती जो आई

    अपन तन केरा सुद बुद गँवाई

    वो दोनो लगे हो को फिरने लगे

    हरेक झाड़ तल रो को करने लगे

    बज़ाँ झाड़ अंजीर के सात सूँ

    मँगे हैं उनन किन केतक पात सूँ

    मँगे झाड़ अंजीर के पात

    शर्मिन्दगी सू किया सर फ़िरो

    कह्या झाड़ से यार कुच पात ले

    शरम ढाँप अपनी आपस सात ले

    यो दोनो ले अंजीर के पात सूँ

    अपस कूँ लिए ढाँप सब जात सूँ

    बज़ाँ बहिश्त म्याने जिते थे विते

    गुनहगार आदम हव्वा कर कते

    ब़जाँ हक़ सूँ आया निदा झाड़ कूँ

    जो पोशिश किया है मेरें यार कूँ

    तेरे फल में ना होय कुच होर हाड़

    जो शीरीं अछे शहदन में हो झाड़

    तूँ बन्दे खुदा कूँ मुहब्बत किया

    मेहनत की रे वक़्त मुरव्वत किया

    तेरे फल कू बन्दा जे कोई खायगा

    लज्ज़त जन्नत का वही पायगा

    हव्वा होर आदम हैराँ हुए

    वो फिर फिर को दोनों परेशा हुए

    कह्या हक़ के आदमी मुजते (तू ?)

    यो कहे न्हॉटता है बुरा होके यूँ

    तू अव्वल किता खूब दाना अथा

    यू शैतान तुज यो दीवाना किता

    के आदम कह्या खुदा तुज सूँ मैं

    हो कर शर्मिन्दा न्हॉटता हूँ जो वैं

    कह्या हक़ के अव्वल तुझे मैं कह्या

    नको खाव कर तुज नसीहत दिया

    के दुश्मन तुम्हारा हो शैतान है

    तुमें उसते बहुतेक अंजान है

    तब आदम-हव्वा दोनों अरड़ा के रोय

    हमन सू हुआ है गुनाह ऐसा होय

    हव्वा होर आदम कहे यूँ पुकार

    हमें तो तेरे मुक सूँ है शर्मसार

    कहे यूँ के ख़ालिक किर्दगार

    गुनहगार बन्दे बख़श एक बार

    के हमना सते तो हुआ यूँ खता

    बखश यो गुनाह तूँ हमारे खुदा

    कहा बारी ताली के दुनिया में जाव

    इरादा तुमारा जे कुछ है सो पाव

    ।। किस्सा ईशू अले सलाम ।।

    जो मूसा के बाद अज़ सो ईशू नबी

    हुए है नबी इसराइल पो सबी

    खुदा उनके तई दे को पैगम्बरी

    बनी इसराइलाँ ऊपर सरवरी

    कहे यू बनी इसराइल सार कू

    लड़ायी करो जाको जब्बार सू

    ईशू लिये सब कूँ संगात तब

    किये लड़ाई उनों सात सब

    किये मार कर सब हज़ीमत दिये

    लिये सार उनों का ग़नीमत लिये

    बज़ाँ पादशाहान थे.............. ... .....

    कम्बख़्त काफ़िर जो बेदीन थे

    लड़ाई कू आये हैं योशा के ठार

    जो योशा उनो कूँ किये मार ख़ार

    हज़ीमत दिये सब उनों कू तमाम

    बज़ा वाँ ते आये आहे शार शाम

    ऊनों कूँ बी यक बार सब मार कर

    विलायत लिये मुल्क उस ठार पर

    किये मार सब घेर उस ठार सब

    कते है नक़ल यो जो सब एक बार

    नबिया में नही कोई योशा के सार

    ग़िज़ा यू किया होर लिया शार भोत

    मुहक्कम जज़ीरे मुल्क ठार भोत

    किये मार इस्लाम कू आशकार

    काफ़िर के तर्ई ज़ेर कर खारज़ार

    नबियाँ कू ग़नीमत था किस हलाल

    जो लेवे उनों मार कर सब यो माल

    ।। क़िस्सा तहतुल सरा ।।

    ज़मीं के तले यक ठरा कर मकान

    हर्या उस तले एक पत्थर अहै जान

    वो पत्थर रह्या है चक्कर बीच सख़्त

    सरा के तले दोज़खियाँ का है तख़्त

    वो तहतुलसरा का कहूँ उसकी बात

    अरबी लक़ब है क़दीम एक बात

    ज़मीन है जो गाजर की जड़ के निमन

    पानी में ज्यों के कँवल के निमन

    पानी में सूँ जो निकले भार

    रखे है जो पत्थर हर्या उस तलार

    वहा दोजखियाँ का है मज़कूर ले

    उपर अर्श है होर तले हैं सरा

    ज़मीन गाय की दुम निमन ज्यो तरा

    दोज़ख कूँ उसकी जो निस्बत किया

    जो यकनिस फ़रिश्ते हवाला दिया

    डरने अगन कूँ पानी कूँ वो

    कुछ प्यास पानी खाने कूँ वो

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