ख़जाने मारिफ़त
अता फ़स्ल दुसरा सो सुन वे शग़ल
मुमकिन-उल-वजूद का बयान है नवल
मुमकिन-उल-वजूद बूज उसकू सो किये
इस ज़ाहिर वजूद के बातिन में है
यो मिएसाक के दिन सो पैदा हुआ
ऐसे रोज़ सू यो हो बिदा हुआ
हम है मुमकिन की सूरत सो बूजो असल
करे सैर सपने मने जो निकल
जो बेदारी देखीं सूरत तो जान
है ख़तरात की बूजो मूरत सो जान
वजूद यो सो वूजो न अज़ली अहै
के अमृत की सूरत सूँ अब्दी अहै
सुनो अन्सरी तन का मज़हर है यो
सुनो बात मशहूर है, अज़हर है यो
इसराफ़ील मोक्किल सो इसका अहै
के तालुक़ यो बारी सूँ रखता अहै
सबब ओके मुमकिन के सारे फ़ेल
हर खतरात व हरकात सारे सगल
जो ख़तरात व हरकात हर सू तमाम
यो बारी सूँ निस्बत सो रखते मुदाम
रखी ख़ासियत बावकी यो सो तन
करे सैर यो तन सो बिजली नमन
मिसाल हूर के तन यो अमृत है जान
तबा बावकी दौड़ कर कर पछान
कै नफ़्स लव्वामा इसका अबयार
मलामत कर निहार अपस्को मार
के याने मलामत बदी पो जो कर
के चहता है रहने शरा के उपर
है यो नफ़्स मोमिन जो खासाँ के तीन
जतन कर को रखना इस बातों के नीन
है न फ़सना बी इस न का ख़तरा सो जान
के याने शरा के मुआफ़िक सो मान
यो जैसा के ख़तरा निगाह करने का
दिया कुच कसब सूँ शिकम भरने का
दिया ख़ुश ख़ूराक खाने होना सो भोत
दिया वक़्त बेवक़्त सोना सो भोत
जो इस तोर के ख़तरे हैं सो तमाम
उनों कौन है जो लोग हैंगे अवाम
दिल इस तन का बूजो मुनीब कर को सब
के याने सो नेकी कद न आये जब
बदी के हुए खतरा तो तोबा करे
वहाँ ख़ूब नेकी के ला कर धरे
खुदा के कदम सो रजू हो निहार
उस तन के सो दिल का यही कारोबार
है रूह मुताहर के इस फ़न का जान
के याने सो हरकात पो देखे मान
इस हरकात कू देख सलाह व निहार
इसे की च हरकत सूँ हरकत हुई भार
भई हैवानी भई रूह कर कर कते
के याने के सूफ़ी है अक्सर जिते
अक़्ल कूँ इस तन की वहम करको जान
वहम बोलते सो सुनो यो बयान
क़यासे अकल सू जो जाकर गुज़र
के इरशाद सूँ पीर के सर बसर
कुछ एक वहम पकड़े खुदा की सो ज़ात
होर पाक जू चमड़ा सूँ समज हुई यो बात
समज उसकी तौहीद अफ़आली अब
के याने कहे फ़ेल उसके च सब
जू मजजूब के कोई शराबी ने कान
किया काट को तो दिया कोइ बे नान
भई एक आको पूछा यो किनने किया
तो बोल्या के रोटी जो जिनने दिया
भर्ई पूछा दिया तुजकू रोटी किनने
तो बोल्या मेरे कान काट्या जिनने
है इस तनकी राह सो तरीक़त सो ऐ यार
के याने चली बातिनी की सझार
तमाम बन्दगी ज़ाहरी की सो कर
बाद उसके दिल बातिनी में सो धर
होकर आशना तू दूसरे तन का अताल (?)
गवाहाँ के खतर्या कू सटना निकाल
सगल याद में रब की क़ायम रहना
भई दिल की सफ़ाई में दायम रहना
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