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Sufinama

हिदायतनामा हिन्दी

ज़ईफ़ी

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ज़ईफ़ी

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    ।। अलामते क़यामत ।।

    ये दीगर क़यामत सो दज्जाल आये

    सो अहले इस्लाम के तर्ई फिर आये

    क़यामत के आगे तो वो आयगा

    कीता उससे आलम दग़ा खायगा

    कहते हैं के दज्जाल वह लानती

    जो देवाँ में एक देव है लानती

    के है सारे देवाँ में सरज़ोर वह

    वलेकिन है एक आँख का कोर वह

    तबीयत वह धरता है शैतान की

    करे राहज़नी अहले ईमान की

    ज़मीं बीच आवेगा वह शूमवार

    जो होकर बड़े यक गधे पर सवार

    भई एक रोज़ ख़ास बशर

    जो बैठे थे आकर मस्जिद भीतर

    अबूबकर थे और उमर नेक नाम

    भई उस्मान अली थे वलियों के इमाम

    यह चारों ख़लीफ़े नबी पास थे

    हो चारों भी ईमान के साथ थे

    थे बाज़े भी असहाब हाज़िर कितेक

    नबी पास बैठे हैं लग उसमें देख

    यकायक कहे काफिराँ साथ चल

    अबू जहल आया नबी के अगल

    अदावत पकड़ दिल में बेहिसाब

    नबी सू कहा आके यो बेहिज़ाब

    कहा यूँ के सुन मुहम्मद तुमीं

    निशान कुछ मेरा तुमें होता नहीं

    कहलाते हो तुम यो ही नबी और रसूल

    वले दिल मेरा कुछ करता क़बूल

    किया जग में शोहरत रिसालत का तुम

    हमन में हुआ इस .............................

    बड़े तुम कलाते अपस घर में

    वले बूझो क्या है मेरे बर में

    मेरे बर में बोलो के क्या रंग हैं

    वगर नही तो तुम सूँ मेरा जंग है

    मेरे वर में क्या बसत तो बोलो तुम

    बयानवार बारे उसे खोलो तुम

    तो मैं भी बारे तुम कूँ समजूँ सचा

    बगर नही तुम्हारा नबूअत कचा

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