مختلف علوم میں ماہر ہونے کے باوجود عمر خیام کی شہرت کا سرمایہ اس کی فارسی رباعیات ہیں۔ رباعیوں کی زبان بڑی سادی، سہل اور روان ہے۔ لیکن ان میں فلسفیانہ رموزہیں جو اس کے ذاتی تاثرات کی آئینہ دار ہیں۔ عمر خیام کی رباعیات کا ترجمہ دنیا کے تقریباً سب معروف زبانوں مین ہوچکا ہے۔ اردو میں مختلف لوگوں نے اپنے اپنے اسلوب اور طریقے سے کیا ہے۔ زیر نظر خیام کی رباعیوں کا منظوم ترجمہ عبد الحمید عدم نے کیا ہے۔ خود عبد الحمید عدم غزل کے بہت اچھے شاعر ہیں، اچھوتے مضامین کے علاوہ آسان، مختصر اور رواں بحریں قاری کو بہت لطف دیتی ہے۔ اسی طرح یہ مترجم رباعیاں بھی بہت پرلطف ہیں۔
अपनी किताब रुबाइयात के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध| ख्याति-प्राप्त शाइर होने के साथ साथ बड़े गणितज्ञ भी थे . फिट्जगेराल्ड द्वारा इनकी रुबाइयात के अनुवाद के बाद इनका नाम मशरिक और मग़रिब दोनों में मक़बूल हो गया | मौलाना रूमी की मसनवी के बाद सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताबों में रुबाइयात का शुमार होता है| कहा जाता है कि किसी वक़्त सूफ़ी ख़ानक़ाहों में आने वाले नवागंतुक विद्यार्थियों को उमर ख़य्याम की रुबाइयात पढ़ने के लिए दी जाती थी और उनसे पूछा जाता था कि आपने क्या समझा ? नवागंतुक के उत्तर पर यह निर्भर करता था कि उसे ख़ानक़ाह में प्रवेश मिलेगा अथवा नहीं | भारत में रुबाइयात का हिंदी अनुवाद प्रसिद्ध हिंदी कवि श्री हरिवंश राय बच्चन साहेब ने ख़य्याम की मधुशाला के नाम से किया है| इनकी रुबाइयात से प्रेरित होकर ही उन्होंने बाद में मधुशाला लिखी जो हिंदी की एक अमर कृति है | ख़य्याम की इच्छा थी कि उनकी क़ब्र ऐसी जगह पर बने जहाँ पेड़ साल में दो बार फूल बरसाया करें| उनकी यह इच्छा भी पूर्ण हो गयी| इनकी दरगाह निशापुर में है जहाँ शेफ़्तालू और नाशपाती के पेड़ साल में दो दफ़ा फूल बरसाते हैं |
प्रमुख रचना रुबाइयात है .
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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