चतुर्भुजदास कृत मधुमालती हिंदी की एक प्राचीन प्रेम-कथा है जो विशुद्ध भारतीय शैली में लिखी गई है। चतुर्भुजदास नाम के एक से अधिक साहित्यकार हुए हैं, जिनमें से एक तो अष्टछाप के प्रसिद्ध भक्त थे, और मधुमालती नाम की भी एक से अधिक रचनाएँ मिलती है, इसलिये हमारे साहित्य के इतिहास-लेखकों ने इस रचना के लेखक और इसकी कथा के संबंध में प्रायः भूलें की है। उदाहरण के ले हिंदी साहित्य के सबसे पुराने इतिहास लेखक गार्सा द तासी ने सं. 1896 तथा पुनः सं. 1927-28 (द्वितीय संस्करण) में प्रकाशित अपने इतिहास-ग्रंथ ‘इस्त्वार द ला तिलरात्यूर एँदूई ए एँदूस्तानी’ में लिखा है कि इसके लेखक चतुर्भुजदास मिश्र है और इनके नायक-नायिका वे ही हैं जो दखिनी के प्रसिद्ध कवि नुसरती के गुलशन-ए-इश्क़ के हैं। इसी प्रकार मिश्रबंधुओं ने अफने मिश्रबंधुविनोद में इस विट्ठलनाथ जी के शिष्य चतुर्भुजदास गोरवा की रचना बताया है।