अकबर वारसी मेरठी उर्दू ज़बान के मुम्ताज़ ना’तगो शाइ’र थे। अकबर वारसी बिजौली ज़िला मेरठ में पैदा हुए। आप उर्दू के अ’लावा अ’रबी-ओ-फ़ारसी के भी आ’लिम थे। उनकी ना’तें सलासत, रवानी, बंदिश, सफ़ाई, सादगी और शीरीनी में आप अपनी मिसाल हैं। आपकी ना’तें तकल्लुफ़ और तसन्नो' से पाक हैं। आपके ना’तिया कलाम मीलाद -ए-अकबर को बहुत मक़्बूलियत हासिल थी। अकबर ‘वारसी’ हज़रत हाजी सय्यद ‘वारिस’ अ’ली शाह से बैअ’त थे| अकबर की शाइ’री में सबसे ज़्यादा शोहरत और मक़्बूलियत मीलाद-ए- अकबर को मिली। इस मीलाद-नामे का आग़ाज़ हम्द से होता है। उस के बा’द फ़ज़ाएल-ए-दुरूद, आदाब-ओ-फ़ज़ाएल-ए- महफ़िल-ए-मीलाद, बिलाल बिन अबी रिबाह की रिवायत, ए’जाज़-ए-क़ुरआनी, मुहम्मद बिन अ’ब्दुल्लाह के मुतअ’ल्लिक़ ग़ैर मुस्लिमों के अक़्वाल बयान किए गए हैं। विलादत-ए- मुहम्मद बिन अ’ब्दुल्लाह, सलाम ब-वक़्त-ए- क़याम, हालात-ए- रज़ाअ’त, लोरी, झूलना, सरापा, ना’त दर आरज़ू-ए- मदीना, बयान-ए-मो’जिज़ात, मे’राज, ज़मीन-ओ-आसमान का मुबाहसा, क़सीदा-ए-मे’राज, नमाज़ की ता'रीफ़, फ़ज़ाएल-ए-सहाबा-ओ-आल-ए-बैत से मुतअ’ल्लिक़ अश्आ’र हैं। इस के बा’द मनाक़िब का सिलसिला शुरूअ’ होता है। उस में कई औलिया की मन्क़बत है। आख़िर में मुनाजात वग़ैरा हैं। अकबर ‘वारसी’ का हल्क़ा-ए-तलामिज़ा वसीअ’ था। आपके शागिर्दों में शाहनामा इस्लाम और पाकिस्तान के क़ौमी तराने के ख़ालिक़ हफ़ीज़ जालंधरी भी हैं। अकबर ‘वारसी’ का ज़माना अकबर इलाहाबादी और शाह अकबर दानापुरी का ज़माना था। ये तीनों हम-नाम शो’रा अपने अ’हद के नामवर शो’रा में से थे। बाग़-ए-ख़याल -ए-अकबर के उ’न्वान से तीनों शो’रा के कलाम का मजमूआ’ शाए’ हो चुका है ख़्वाजा अकबर ‘वारसी’ ने 6 रमज़ान 1372 हज्री बमुताबिक़ 20 मई 1953 ई’स्वी ब-रोज़-ए-बुद्ध लियाक़ताबाद कराची में वफ़ात पाई और मेवा शाह क़ब्रिस्तान लियारी में दफ़्न हुए।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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