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Sufinama

पुस्तक: परिचय

اصول المقصود صوفیہ قلندریہ پر لکھی گئی ایک نادر کتاب ہے جس میں سب سے پہلے قلندریہ صوفیہ کی اصل اور ان کا سلسلہ بیان کیا گیا ہے جو پڑھنے پر موہوم کہانی محسوس ہوتا ہے مگر صوفیہ قلندریہ ہمیشہ سے اسی طرح کی زندگی گزارتے ہیں اور اسی طرح کے واقعات کی بھر مار ان کے یہاں دیکھنے کو مل جاتے ہیں جس سے استعجاب رفع ہو جاتا ہے۔ اس کے بعد صوفیہ قلندریہ کے یہاں کس طرح سے اعمال و افعال اور چلہ کشی اور جاروب کشی کی جاتی ہے وغیرہ کا ذکر کیا گیا ہے اور معروف قلندر صوفیہ کا ذکر بھی کیا گیا ہے۔

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लेखक: परिचय

हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी लखनऊ ज़िला' के मा’रूफ़ क़स्बा काकोरी में अठारहवीं सदी ई’स्वी में पैदा हुए। सूफ़ी ख़ानवादा से तअ’ल्लुक़ रखते थे। इनके वालिद हज़रत शाह मुहम्मद काज़िम क़लंदर एक मा’रूफ़ सूफ़ी थे। उनके मुरीदीन और सादिरीन उनके घर पर अक्सर जम्अ’ होते थे। शाह तुराब अ’ली क़लंदर बड़े ही तवाज़ो’ और ख़ाकसार -तबीअ’त के मालिक थे। अपने वालिद-ए-माजिद के हुक्म की ता’मील करते हुए अक्सर मुरीदीन और सादिरीन की बे-लौस ख़ातिर-तवाजो’ और ख़िदमत करने में मशग़ूल रहते थे। इब्तिदाई ता’लीम के साथ मा’क़ूलात-ओ-मंक़ूलात की ता’लीम अपने वालिद से हासिल की। साथ ही साथ मुल्ला मुई’नुद्दीन बंगाली और मुल्ला क़ुद्रतुल्लाह बिल्ग्रामी से भी इस्तिफ़ादा किया। आ’ला ता’लीम का शौक़ यहीं पर तमाम नहीं हुआ। मुल्ला हमीदुद्दीन से दर्स-ए-हदीस का शरफ़ हासिल किया। क़ाज़िउल-क़ुज़ात मौलाना नज्मुद्दीन अ’ली ख़ान बहादुर से अ’रूज़ की ता’लीम हासिल की और वक़्तन फ़-वक़्तन उनसे इस्लाह भी लेते रहे। मौलवी फ़ज़्लुल्लाह न्यूतन्वी से इ’ल्म-ए-फ़िक़्ह में ता’लीम हासिल की। तज़्किया-ए-नफ़्स और मुजाहिदात-ए-इ’ल्मी का मुहासबा नव-उ’म्री से करना शुरूअ’ कर दिया था और उस की बारीकी अपने वालिद-ए-माजिद से उनके विसाल के वक़्त तक हासिल करते रहे। फ़ारसी और उर्दू ज़बानों पर यक्सर उ’बूर हासिल था। ब्रज-भाषा का भी अ’क्स उनकी शाइ’री में देखने को मिलता है। फ़ारसी, उर्दू या हिन्दी कलाम में सोज़ और तड़प नुमायाँ है| आपके दोहे और ठुमरियाँ आज भी बेहद मक़्बूल हैं। ब्रज-भाषा में आपके गीत मक़ाम-ए-नाज़ के असरार-ए-निहाँ के हिजाबात को भी चाक कर देते हैं और मस्लक-ए- नियाज़ के उ’क़्दे खोल कर इंशिराह-ए-क़ल्ब के खज़ाने लुटाते नज़र आते हैं। शाह तुराब अ’ली क़लंदर की तसानीफ़ ये हैं: कुल्लियात-ए-शाह तुराब अ’ली काकोरवी, अमृतरस, मुजाहिदातुल-औलिया वग़ैरा।


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