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Sufinama

जो जाने राज़ अलस्ता वही सूफ़ी है सर-मस्ता

था कुन्तु कंज़ ख़ज़ाना अज़ अ’दम वजूद ज़माना

जो जाने उस का मा’ना वो जाने हक़ का रस्ता

जो नफ़ी इस्बात को जाने फिर ख़ुद को ख़ुद पहचाने

बन जाए उस के मा’ना वो अलिफ़ से है सर-बस्ता

करे रौशन जो मन मंदर और दोस्त दिखावे अंदर

वही बे-शक मस्त क़लंदर दे सौदा दस्त ब-दस्ता

कर बंद अयाज़ कहानी, दे फ़क़्र की ख़ास निशानी

हो फ़ारिग़-ए-दो जहानी दुनिया से बर्गशता

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