मन आ'शिक़-ए-बदनामम दीवान:-ओ-बद-कारम
मन आ'शिक़-ए-बदनामम दीवान:-ओ-बद-कारम
वल्लाह न-बुवद आ'रम गर यार बुवद यारम
मैं बदनाम आ’शिक़, दीवाना और बदकार हूँ, अगर यार मेरा यार बन जाये तो मेरे लिए शर्म की बात हर्गिज़ नहीं होगी।
ने-मोमिन-ओ-ने-मुस्लिम ने-काफ़िर-ओ-ने-मुल्हिद
ने-फ़ासिक़-ओ-ने-सालेह वल्लाह कि चे दीं दारम
मैं न तो मुसलमान हूँ, न मोमिन, न काफ़िर हूँ न नास्तिक, मैं न तो बुरा हूँ न भला हूँ, ऐ ख़ुदा फिर मेरा मज़हब क्या है?
मन आ'शिक़-ए-जाँ-बाज़म मा'शूक़-ए-सरफ़राज़म
मन तुर्क-ए-सरंदाज़म मन दिल-बर-ए-अ'य्यारम
मैं बहादुर आ’शिक़ और महबूब हूँ, मैं तुर्क (सुंदर) और बेवफ़ा दिलबर हूँ।
मन दिल-बर-ए-पिन्हानम बर सूरत-ए-इंसानम
मन क़ादिर-ए-हन्नानम जब्बारम-ओ-सत्तारम
मैं इन्सान की सूरत में छुपा एक दिलबर हूँ, मैं गुनाह मुआ’फ़ करने वाला, शक्तिशाली और गुनाहों को छुपाने वाला भी हूँ।
'अहमद' तु म-ख़्वाँ मा रा जुज़ हक़्क़े तु मदाँ मा रा
अज़ मज़्हब-ए-पिन्दारी बेज़ारम-ओ-बेज़ारम
‘अहमद’ तू मुझे सच के अ’लावा और कुछ मत समझ, मैं अपने धार्मिक दिखावे और बाहरी (औपचारिक) आस्थाओं से ऊब चुका हूँ, बिल्कुल ऊब चुका हूँ।
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