बुरे नछत्तर जरम ल्या सी, मैं दुख्यारा जंमदा
बुरे नछत्तर जरम ल्या सी, मैं दुख्यारा जंमदा
दरद विछोड़ा ते सुख थोड़ा, चोड़ा तेरे दम दा
ना दिल वस्स ना दिलबर मिलदा, हाय रब्बा की करसां
किस संग फोलां बेदन दिल दी, कौन भंजाल इस ग़म दा
पहले दिन दी सुझदी आही, जदों प्रीत लगाई
शीरीं जान मिसल फ़रेहादे, सदका होग पिरम दा
शाह परी दा नेहुं लगायआ, ख़ाकी बन्दा हो के
कद मेरे संग उलफ़त करसी, की मैं उसदे कंम दा
वतनों छोड़ होइओसु परदेसी, पाड़न पाड़ि अवल्ले
दुक्ख सहे सुख पायआ नाहीं, सड़्या मैं करम दा
जिसदी यारी ते जिन्द वारी, ना करदी दिलदारी
किस अग्गे फ़र्यादी जाईए, करे न्यां सितम दा
नगरी मेरी हुकम सज्जन दा, हाकिम आप अन्याईं
बेदोसे नूं सूळी दे के, हस्सदा वेख पिलमदा
हाए अफ़सोस ना दोस किसे ते, केहे करम कर आया
आख मुहम्मद कौन मिटावे, लिख्या लोह-कलम दा
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