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Sufinama

वाह वाह छिंझ पई दरबार

बुल्ले शाह

वाह वाह छिंझ पई दरबार

बुल्ले शाह

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    वाह वाह छिंझ पई दरबार

    ख़लक तमाशे आई यार

    असाँ अज्ज की कीता ते कल्ल्ह की करना भट्ठ असाडा आया

    ऐसी वाह क्यारी बीजी चिड़ियाँ खेत वंजाइआ

    जेहड़े मगर प्यादे लग्गे उट्ठ चल्ले पहुते तार

    वाह वाह छिंझ पई दरबार

    इक्क उल्हामा सईआं दा है दूजा है संसार

    नंग नमूज़ एथों दे एथे लाह पगड़ी भोइं मार

    नाम साईं दे कंडे लवाए खिल पई गुलज़ार

    वाह वाह छिंझ पई दरबार

    नढ्ढा गिरदा बुढ्ढा गिरदा आपो आपनी वारी

    की बीवी की बांदी लौंडी की धोबन भठ्यारी

    अमलां सेती होन नबेड़े नबी लंघावे पार

    वाह वाह छिंझ पई दरबार

    'बुल्ल्हा' शहु नूँ वेखण जावे आपना बहाना करदा

    गूनो गूनी भांडे घड़ के ठीकरियां कर धरता

    इह तमाशा वेख के चल्ल अगला वेख बज़ार

    वाह वाह छिंझ पई दरबार

    ख़लक तमाशे आई यार

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