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Sufinama

हुन वतन बेगाने वल नहीं आवना

ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद

हुन वतन बेगाने वल नहीं आवना

ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद

MORE BYख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद

    हुन वतन बेगाने वल नहीं आवना

    याद कीतम दिलदार

    कोले रहसाँ मूल सहसाँ

    हिजर दा बारी बार

    विसर्या सारा राज बबाना

    विसर गया घर-बार

    भान मणेसाँ मान नभेसाँ

    घोले आर यार

    सुर्ख़ी कजल मुसाग गिउ

    बट्ठ प्या हार सिंगार

    पारों डिसदी झोक सजन दी

    क्यूँ रहसाँ उरवार

    मैं मनतारी ते नेंह बारी

    क़ादर नेसम पार

    बट्ठ पई सिंधड़ी कीतम मौला

    मुलक मल्हेर मल्हार

    देस अरब दा मुलक तरब दा

    सारा बाग़-बहार

    रोही रावे रोहीं रुलसें

    नस गया करहूँ क़तार

    डेंह डुक्खाँ दा डूंगर डिस दा

    रात गमाँ दी ग़ार

    साँवन आया रोही वुठड़ी

    बार थई गुलज़ार

    दार मदार 'फ़रीद' है दिल नूँ

    डुखड़े तारो-तार

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