हुन वतन बेगाने वल नहीं आवना
हुन वतन बेगाने वल नहीं आवना
याद कीतम दिलदार
कोले रहसाँ मूल न सहसाँ
हिजर दा बारी बार
विसर्या सारा राज बबाना
विसर गया घर-बार
भान मणेसाँ मान नभेसाँ
घोले आर व यार
सुर्ख़ी कजल मुसाग गिउ
बट्ठ प्या हार सिंगार
पारों डिसदी झोक सजन दी
क्यूँ रहसाँ उरवार
मैं मनतारी ते नेंह बारी
क़ादर नेसम पार
बट्ठ पई सिंधड़ी कीतम मौला
मुलक मल्हेर मल्हार
देस अरब दा मुलक तरब दा
सारा बाग़-बहार
रोही रावे रोहीं रुलसें
नस गया करहूँ क़तार
डेंह डुक्खाँ दा डूंगर डिस दा
रात गमाँ दी ग़ार
साँवन आया रोही वुठड़ी
बार थई गुलज़ार
दार मदार 'फ़रीद' है दिल नूँ
डुखड़े तारो-तार
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