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Sufinama

आज उनके दामन पर अश्क मेरे ढलते हैं

सई’द शहीदी

आज उनके दामन पर अश्क मेरे ढलते हैं

सई’द शहीदी

MORE BYसई’द शहीदी

    आज उनके दामन पर अश्क मेरे ढलते हैं

    ग़म के तेज़-रू धारे रास्ते बदलते हैं

    देखना ज़रा हमदम रौशनी है गुलशन में

    आशयाना जलता है या चिराग़ जलते हैं

    आपके सहारे की फ़िक्र होगी औरों को

    हम तो ठोकरें खा कर आप ही सँभलते हैं

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    अज्ञात

    अज्ञात

    स्रोत :
    • पुस्तक : सुरूद-ए-रूहानी (पृष्ठ 314)
    • संस्करण : Second

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