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Sufinama

कौन सा घर है कि ऐ जाँ नहीं काशाना तिरा और जल्वा-ख़ाना तिरा

बेदम शाह वारसी

कौन सा घर है कि ऐ जाँ नहीं काशाना तिरा और जल्वा-ख़ाना तिरा

बेदम शाह वारसी

MORE BYबेदम शाह वारसी

    कौन सा घर है कि जाँ नहीं काशानः तिरा और जल्वः-ख़ानः तिरा

    मय-कद: तेरा है का'बः तिरा बुत-ख़ाना तिरा सब है जानाना तिरा

    तू किसी शक्ल में हो मैं तिरा शैदाई हूँ तेरा सौदाई हूँ

    तू अगर शम्अ' है दोस्त मैं परवाना तिरा या'नी दीवाना तिरा

    मुझ को भी जाम कोई पीर-ए-ख़राबात मिले तेरी ख़ैरात मिले

    ता-क़यामत यूँही जारी रहे पैमाना तिरा रहे मय-ख़ाना तिरा

    तेरे दरवाज़े पे हाज़िर है तिरे दर का फ़क़ीर अमीरों के अमीर

    मुझ पे भी हो कभी अल्ताफ़-ए-करीमाना तिरा लुत्फ़-ए-शाहाना तिरा

    सदक़ः मय-ख़ाने का साक़ी मुझे बे-होशी दे ख़ुद-फ़रामोशी दे

    यूँ तो सब कहते हैं 'बेदम' तिरा मस्ताना तिरा अब हूँ दीवाना तिरा

    स्रोत :
    • पुस्तक : नूरुल-ऐंन: मुसह्हफ-ए-बेदम (पृष्ठ 115)
    • रचनाकार : बेदम शाह वारसी
    • प्रकाशन : शेख़ अता मोहम्मद, लहौर (1935)

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