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Sufinama

कलाम

सूफ़ियाए किराम के लिखे हुए ज़्यादा-तर अशआर कलाम के ज़ुमरे में ही आता है और उसे महफ़िल समाव के दौरान भी गाया जाता है।

1916 -1970

मा’रूफ़ फ़िल्म गीत-कार और बेहतरीन शाइ’र

1933

मुशाइ’रों के इंति हाई मक़्बूल शाइ’र

1843 -1909

बिहार के महान सूफ़ी कवि

1728 -1806

मुग़लिया सल्तनत का सोलहवाँ बादशाह

1745 -1806

ख़ानक़ाह-ए-काज़िमिया, काकोरी के बानी और रुहानी शाइ’र

1767 -1858

अवध के मा’रूफ़ सूफ़ी शाइ’र और रुहानी हस्ती

1775 -1834

हिन्द-ओ-पाक के मा’रूफ़ रुहानी शाइ’र

1881 -1945

हज़रत शाह अकबर दानापुरी के साहिब-ज़ादे और ख़ानक़ाह-ए-सज्जादिया अबुल-उ’लाइया, दानापुर के बा-कमाल सज्जादा-नशीन

1538 -1599

पंजाब के सबसे मक़बूल शाइ’र

संजर के रहने वाले एक चिश्ती शाइ’र थे

1899 -1978

उर्दू, फ़ारसी और पंजाबी ज़बान के शाइ’र

“अफ़्साना आ’शिक़-ए-दिल-गीर उ’र्फ़ शीरीं फ़र्हाद बित्तस्वीर के मुसन्निफ़।

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