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Sufinama

दान दया घमसान में, जाके हिये उछाह।

लाल

दान दया घमसान में, जाके हिये उछाह।

लाल

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    दान दया घमसान में, जाके हिये उछाह।

    सोई वीर बखानिये, ज्यों छत्ता छितिनाह।।

    जिन में छिति छत्री छवि जाये। चारिहु युगन होत जे आये।।

    भूमि भार भुज दडिन थम्भे। पूरन करे जु काज अरम्भे।।

    गाय वेद द्विज के रखवारे। जुद्ध जीति जे देत नगारे।।

    छत्रिन की यह वृत बनाई। सदा जग की खांय कमाई।।

    गाय वेद विप्रन प्रतिपालैं। घाउ ऐंड़धारिन पर घालै।।

    उधम तें संपति घर आवै। उधम करै सपूत कहावै।।

    उधम करैं संग सब लागै। उधम ते जग में जस जागै।।

    समुद्र उतरि उधम तें जैये। उधम तें परमेश्वर पैये।।

    जब यह सृष्टि प्रथम उपजाई। जंग वृति क्षत्रिन तब पाई।।

    यह संसार कठिन रे भाई। सबल उमड़ि निर्बल को खाई।।

    छनिक राजसंपति के काजै। बंधुन मारत बंधु लाजै।।

    कछू कालगति जानि जाई। सब में कठिन कालगति भाई।।

    सदा प्रबुद्धि बुद्धि है जाकी। तासों कैसे चले कजाकी।।

    साहस तजि उर आलस मांड़ै। भाग भरोसे उधम छाडै।।

    ताहि तजै जग संपति ऐसे। तरुनी तजै वृद्धिपति जैसे।।

    बिपति मांह हिम्मत ठिक ठाने। बढती भये छिमा उर आने।।

    बचन सुदेस सभनि में भाखै। सुजस जोरिबे में रुचि राखै।।

    जुद्धनि जुरे अकेले जैसे। सहज सुभाय बड़ेन के ऐसे।।

    जाकी धरम रीति जग गावै। जो प्रसिद्ध बलवन्त कहावै।।

    जाहि जोट भैयन की भावै। करत अनारबीन बनि आवै।।

    लै अवतार बड़े कुल आवै। जुद्ध जुरै जगत जस गावै।।

    सत्य बचन जाके ठिक ठाये। प्रीति जोग ये सात गनाये।।

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