अलक वर्णन- अलक मुबारक तिय बदन लटकि परी यों साफ।
अलक वर्णन- अलक मुबारक तिय बदन लटकि परी यों साफ।
मुबारक अली बिलग्रामी
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अलक मुबारक तिय बदन लटकि परी यों साफ।
खुस नवीस मुनसी मदन लिख्यो कॉच पर काफ।।
जगी मुबारक तिय बदन अलक ओप अति होइ।
मनो चन्द की गोद में रही निसा सी सोइ।।
लगि दृग अंजन ढिग अलक देत मुबारक गोद।
जनु सांपिनि सुत आपनो भेंटत भरि भरि गोद।।
चिबुक कूप मे मन परयो, छबि जल तृषा बिचारि।
कढ़त मुबारक ताहि तिय, अलक डोर सी डारि।।
लगी मुबारक झुकि अलक, लाल बेंदली भाल।
लेत मोल ससि ते सुवा, देत मोल मनि ब्याल।।
घूघट नील निचोल में, लट लटकी तिय भाल।
लरत चन्द्रमा राहु चलि बीच करत मनु व्याल।।
लपटि मुबारक लट रही, माधे चॉवर चारु।
मनु फनि बैठे चन्द पर चन्दन चौकी डारु।।
सादे झोने घूँघटनि अलक झलक अनुमानि।
सोवत ससि पर सेस जनु स्वेत पिछौरी तानि।।
नासा के मुकुतानि पर लपटी अलक बिचारि।
सुधा बुन्द प्रति फनि मनो करत सुआ सो रारि।।
बाल भाल पर अलक का झलक मुबारक झांकि।
राख्यो जनु सव बिधि सुवा, मनु मृग मद ते आंकि।।
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