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Sufinama

इहलीला चंद रचाया पल में त्रैलोक्य नचाया

अमृत राय

इहलीला चंद रचाया पल में त्रैलोक्य नचाया

अमृत राय

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    इहलीला चंद रचाया पल में त्रैलोक्य नचाया

    उठ के प्रात जसोदा मय्या दे नवनीत पुत्रश्यामा

    नाच कन्हया शब्द उठाया अजब तमासा उन्ने दिखाया

    ग्वालन के सुसमाज आज ब्रिजराज पकर बलभद्र अंगरिया

    नचत राग च्छुहु गाय रागनी उपरत पायल

    उठत नादजी हरत देव गंधर्व रटत मृदुतान तुटत

    आकास फटत धुम धुम धुम घंगरु

    गर्जहि तत्काल मोहबस नंद जसोमति

    गोपम्हर्णी तथ्थै तथ्थै नृत्य करत इकनीर भरत

    कोइ देख सुरत घटसिर धरत दधि मथन करत

    मन सुमन हरत तन-मन बिसरत

    सुखसदन फिरत कर रदन थिरत नगबदन धरत

    देहमदन झरत इह प्रकार नर-नारी

    गोकुल के सब ब्रिजबासी लोक चबासी

    मगन सघन हो कर मुरली में धुन से नाच नचाया

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