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Sufinama

श्री बृन्दाबन मो अजपत ब्रजराज बिराजत

अमृत राय

श्री बृन्दाबन मो अजपत ब्रजराज बिराजत

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    श्री बृन्दाबन मो अजपत ब्रजराज बिराजत

    सत्यलोक तें ब्रह्मदेव जब गोप भेख धर देखन आये

    गोवन के लघु रूछपाल कर पुच्छ धरत

    सिरमोर पच्छ गर गुंज गुच्छ बिच्छ लच्छ लच्छ

    श्री वच्छ चिन्ह प्रभु तुच्छ गन्यो बल परिच्छवेको

    बच्छा बालसह सकल चुराये

    एक बरस दरसन बिन ब्रिजजन तत गोकुल गन आप भये

    ग्रह ग्रह की बछिया नइ नइ अछिया

    धोरी धुमरी कारी पियरी

    हरी बिचित्रा कपिला बरनी प्रतच्छ हरनी

    जे ग्रह जैसो रहे तैसो

    रंग चाल खुर सिंघ भाल गोपाल बाल

    सब विष्णु अवतरे

    जाको जैसो सुभाव तैसो

    ऐन बैन को नैनहीन को

    बधीर कुबरे पंगु दुबरे

    तुटी पन्हय्या नई पुरानी अपुन बिरानी

    लकुट कामरी गलित पासुरी धुनिन बासुरी

    कुरुप सुरूप सब विश्व कृष्ण मय

    त्रिलोक बिलोक

    नयन करत एक ब्रजराज चरन पर

    आन पर लुटित कोटि कोटि कहे

    मुरत आप मुरख बिसारे

    स्तुति गावत पद पंकज पुनीत रहे

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