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भारत के शायर और अदीब

कुल: 1686

18वीं सदी के बड़े शायरों में शामिल, मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन।

आख़िरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के उस्ताद और राजकवि , मिर्ज़ा ग़ालिब से उनकी प्रतिद्वंदिता प्रसिद्ध है।

प्रमुख मर्सिया-निगार। मसनवी ‘सहर-उल-बयान’ के लिए विख्यात

ग़ालिब और ज़ौक़ के समकालीन। वह हकीम, ज्योतिषी और शतरंज के खिलाड़ी भी थे। कहा जाता है मिर्ज़ा ग़ालीब ने उनके शेर ' तुम मेरे पास होते हो गोया/ जब कोई दूसरा नही होता ' पर अपना पूरा दीवान देने की बात कही थी।

नासिख़ के शिष्य, मराठा शासक यशवंत राव होलकर और अवध के नवाब ग़ाज़ी हैदर की सेना के सदस्य

मशहूर अफ़्साना निगार और नॉवेल निगार, हिन्दुस्तान में साम्प्रदायिक दंगों के परिप्रेक्ष्य में कहनियाँ और उपन्यास लेखन के लिए जाने जाते हैं।

“गुलशन-ए-बे-खार” का मुसन्निफ़

दिल्ली की काव्य परम्परा के अंतिम दौर के शायरों में शामिल, अपने ड्रामे ‘कृष्ण अवतार’ के लिए प्रसिद्ध

मशहुर सूफ़ी बुज़ुर्ग बू-अ’ली शाह क़लंदर

नूह नारवी के शागिर्द, शायरी में आवामी रोज़मर्रा को जगह दी. ग़ज़लों के साथ अहम मज़हबी और जनप्रतिनिधियों पर नज़्में लिखीं

इस्लामपुर का एक गुम-नाम सूफ़ी शाइ’र

फुलवारी शरीफ़ के सूफ़ी शाइ’र

चौदहवीं सदी हिज्री के मुमताज़ सूफ़ी शाइ’र और ख़ानक़ाह-ए-रशीदिया जौनपूर के सज्जादा-नशीं

वंशानुगत ख़ादिम ख़्वाजा गरीब नवाज़, अजमेर

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