Sufinama

लखनऊ के शायर और अदीब

कुल: 85

18वीं सदी के बड़े शायरों में शामिल, मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन।

रामायण, भगवत गीता, और दूसरे बहुत से मज़हबी व ग़ैर मज़हबी पाठों का छन्दोबद्ध व गयात्मक अनुवाद करने के लिए प्रसिद्ध

मुख़्तलिफ़ ख़ूबियों वाला एक अ’ज़ीम शायर

मा’रूफ़ हिन्दुस्तानी शाइ’र और हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद

लखनऊ के मशहूर ताजिर

दाग़ देहलवी के समकालीन। अपनी ग़ज़ल ' सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता ' के लिए प्रसिद्ध हैं।

रुहानी शाइ’र और “वारिस बैकुंठ पठावन” के मुसन्निफ़

हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और लखनऊ के शाइ’र-ए- मश्शाक़

अवध के आख़िरी नवाब वाजिद अली शाह के प्रमुख दरबारी और आफ़ताबुद्दौला शम्स-ए-जंग के ख़िताब से सम्मानित शाएर

मुस्हफ़ी का एक मुम्ताज़ शागिर्द

लखनऊ का मा’रूफ़ ना’त-गो शाइ’र

नासिख़ का एक गुम-नाम शागिर्द

नासिख़ के शिष्य, मराठा शासक यशवंत राव होलकर और अवध के नवाब ग़ाज़ी हैदर की सेना के सदस्य

स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध

सिलसिला-ए-वारसिया से अ’क़ीदत रखने वाला शाइ'र

दबिस्तान-ए-लखनऊ के मुम्ताज़ शाइ’र

लखनऊ के सबसे गर्म मिज़ाज शायर। मीर तक़ी मीर के समकालीन। मुसहफ़ी के साथ प्रतिद्वंदिता के लिए मशहूर ' रेख़्ती ' विधा की शायरी भी की और गद्द में रानी केतकी की कहानी लिखी।

उर्दू अबद के नाम-वर और क़ादिरुल-कलाम शाइ’र

19वीं सदी की उर्दू ग़ज़ल का रौशन सितारा।

उर्दू के पहले सबसे बड़े शायर जिन्हें ' ख़ुदा-ए-सुख़न, (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है.

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