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मन मुर्शिद-ओ-ख़्वाजा मेरे ग़फ़्फ़ार शाह बाबा

अब्दुल्लाह अली ग़फ़्फ़ारी

मन मुर्शिद-ओ-ख़्वाजा मेरे ग़फ़्फ़ार शाह बाबा

अब्दुल्लाह अली ग़फ़्फ़ारी

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    रोचक तथ्य

    منقبت درشان حضرت غفار حسین شاہ جہاں گیری (کراچی۔سندھ)

    मन मुर्शिद-ओ-ख़्वाजा मेरे ग़फ़्फ़ार शाह बाबा

    आँखों में समा जा मेरे ग़फ़्फ़ार शाह बाबा

    हुब्ब-ए-’अली-ओ-फ़ातिमा हसनैन अ'ता हो

    वो तर्ज़ सीखा जा मेरे ग़फ़्फ़ार शाह बाबा

    ऐसी अ'ता ऐसा करम मुझ पे मुसलसल

    मेरी हस्ती भी मिटा जा मेरे ग़फ़्फ़ार शाह बाबा

    जीता हूँ इसी ज़ौक़ में कब दीद हो तेरी

    अब जल्वा दिखा जा मेरे ग़फ़्फ़ार शाह बाबा

    आ'सी हो गुनहगार हो बदकार-ओ-निकम्मा

    मेरे ऐ'बों को छुपा जा मेरे ग़फ़्फ़ार शाह बाबा

    निस्बत से तेरी चमका मुक़द्दर मेरा हर जाह

    रंग अपना चढ़ा जा मेरे ग़फ़्फ़ार शाह बाबा

    क़ुर्ब-ए-शुजा’उद्दीन-ओ-शाह अ'ली मिले

    वो जाम पिला जा मेरे ग़फ़्फ़ार शाह बाबा

    मिट जाए ग़फ़्फ़ारी तेरा चर्चा हो जहाँ

    ये ए'ज़ाज़ दिला जा मेरे ग़फ़्फ़ार शाह बाबा

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