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Sufinama

जुनूँ में काश हो इतना असर ग़रीब-नवाज़

शकील बदायूनी

जुनूँ में काश हो इतना असर ग़रीब-नवाज़

शकील बदायूनी

MORE BYशकील बदायूनी

    रोचक तथ्य

    منقبت در شان غریب نواز خواجہ معین الدین چشتی (اجمیر-بھارت)

    जुनूँ में काश हो इतना असर ग़रीब-नवाज़

    नज़र उठाऊँ तो आएँ नज़र ग़रीब-नवाज़

    मिरे क़दम हों तिरी रह-गुज़र ग़रीब-नवाज़

    मिरी जबीं हो तिरा संग-ए-दर ग़रीब-नवाज़

    मुझ को ख़्वाहिश-ए-जन्नत फ़िक्र-ए-हूर-ओ-क़सूर

    बस इक निगाह-ए-मोहब्बत असर ग़रीब-नवाज़

    तुम्हारी बारगह-ए-नाज़ है मिरी दुनिया

    मैं उस को छोड़ के जाऊँ किधर ग़रीब-नवाज़

    शब-ए-फ़िराक़ की पुर-नूर साअ'तों की क़सम

    तिरे दयार में होगी सहर ग़रीब-नवाज़

    ये कामयाबी-ए-पैहम ये शान-ए-औज-ए-कमाल

    'शकील' मुझ से नहीं बे-ख़बर ग़रीब-नवाज़

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