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मुक़द्दस हो गई दुनिया हुआ ग़ुल शह की आमद का

शाह अकबर दानापूरी

मुक़द्दस हो गई दुनिया हुआ ग़ुल शह की आमद का

शाह अकबर दानापूरी

MORE BYशाह अकबर दानापूरी

    मुक़द्दस हो गई दुनिया हुआ ग़ुल शह की आमद का

    बुतों ने सर झुका कर पढ़ लिया कलिमा मोहम्मद का

    ज़बाँ वो पाक है जिस ने पढ़ा कलिमा मोहम्मद का

    वो दिल रौशन है जिस में जल्वा हो अनवार अहमद का

    मलाएक का वज़ीफ़ा है फ़लक पर नाम अहमद का

    ज़मीं पर पढ़ रहे हैं आदमी कलिमा मोहम्मद का

    मलक ने मुझ से पूछा क़ब्र में तू किस का आशिक़ है

    कहा मैं ने मोहम्मद का मोहम्मद का मोहम्मद का

    करे चारों तरफ़ से क्यूँ इस को आसमाँ सजदे

    ज़मीं को फ़ख़्र हासिल है रसूलल्लाह की मरक़द का

    फ़ना फ़िल्लाह इल्म-ए-फक़्र की है इंतिहा 'अकबर'

    फ़ना-ए-ज़ात-ए-मुर्शिद नाम है इस फ़न की अबजद का

    स्रोत :
    • पुस्तक : जज़्बात ए अकबर (पृष्ठ 4)
    • रचनाकार :शाह अकबर दानापूरी
    • प्रकाशन : आगरा अख़बार प्रेस, आगरा (1915)
    • संस्करण : First
    • पुस्तक : रूहानी गुलदस्तः (पृष्ठ 11)
    • रचनाकार :शाह अकबर दानापूरी
    • प्रकाशन : तंज़ीम-ए-अकबरी, ख़ानक़ाह सज्जादिया, दानापुर (2012)
    • संस्करण : First

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