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तुलू'-ए-सहर है शाम-ए-क़लंदर

नासिर अली

तुलू'-ए-सहर है शाम-ए-क़लंदर

नासिर अली

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    रोचक तथ्य

    مناقب در شان شہباز قلندر حضرت عثمان مروندی (پاکستان)

    तुलू'-ए-सहर है शाम-ए-क़लंदर

    उठो रिंदो पियो जाम-ए-क़लंदर

    इस बज़्म-ए-क़लंदर से तो कोई तिश्ना-लब जाए

    पियो भर-भर के पैमाने कोई प्यासा रह जाए

    लिए जाओ सभी नाम-ए-क़लंदर

    तुलू'-ए-सहर है शाम-ए-क़लंदर

    क़लंदर झूले लाल क़लंदर सोंड़ा लाल

    यहाँ नूर उजाले देखो रहते हैं शाम सवेरे

    पंज बाराँ चौदह वारिस सखी लाल क़लंदर तेरे

    पंजतनी है तेरा पैग़ाम क़लंदर

    तुलू'-ए-सहर है शाम-ए-क़लंदर

    जो चाहे रंग दिखला दे

    इस शान का तू मालिक है

    नहीं हर कोई करम की

    राज़ी तुझ से ख़ालिक़ है

    तू रब का है हसीं नाम-ए-क़लंदर

    तुलू'-ए-सहर है शाम-ए-क़लंदर

    उठो रिंदो पियो जाम-ए-क़लंदर

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    आबिदा परवीन

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