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ए बुतों हट जाओ अब तशरीफ़ लाते है अली

शादाब वारसी

ए बुतों हट जाओ अब तशरीफ़ लाते है अली

शादाब वारसी

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    रोचक तथ्य

    منقبت درشان حضرت مولیٰ علی (نجف-ایران)

    बुतों हट जाओ अब तशरीफ़ लाते है अली

    इन्फ़िरादी शान से काबे में आते है अली

    बेकसो मज़लूम के दुखड़े मिटाते है अली

    जब कोई दिल से पुकारे घर भी आते है अली

    देख कर उन की शुजाअत सब के सब हैरान है

    देखो देखो वो दरे ख़ैबर उठाते है अली

    जब कहा मुश्किल कुशा मुश्किल में मुश्किल पड़ गई

    जब पुकारो आप को तब काम आते है अली

    वो दरे ख़ैबर के जिस को खोलते दस आदमी

    उसको हाथो पर खिलौने सा घुमाते है अली

    मुझ पे मेरी नस्ल पे उनका करम तो देखिए

    मेरे घर के बच्चे बच्चे गुनगुनाते है अली

    मर्तबा तो देखिए काबे में पैदाइश हुई

    और शहादत शान से मस्जिद में पाते है अली

    दे दिया अपनी गुलामी का शरफ़ शादाब को

    एक निकम्मे को भी इस तरह निभाते है अली

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