अरब उनका अजम उनका हैं सारे बोस्ताँ उनके
अरब उनका अजम उनका हैं सारे बोस्ताँ उनके
सभी इन बोस्तानों में हैं बुलबुल नग़्मा-ख़्वाँ उनके
उन्हीं का रंग ज़ाहिर है चमन में ला'ला-ओ-गुल से
फ़क़त लाला-ओ-गुल क्या हैं सारे गुल्सिताँ उनके
सभी ज़र्रों के मालिक हैं हर एक क़तरा उन्हीं का है
ज़मीं और आसमां सब कुछ मकान-ओ-ला-मकाँ उनके
वो ही तो जावेदां हैं और उन्हीं से जावेदानी है
जहाँ भर के तमाम आशिक़ सभी हैं जावेदाँ उनके
ख़ुदा ही उनको जाने है ख़ुदा ही उनको समझे है
हमारे तो गुमां को भी नहीं हैं कुछ गुमाँ उनके
अरे 'ताहा' तेरे बस की नहीं है ये मदह-ख़्वानी
क़ुरआन-ए-पाक करता है बयां उनके बयाँ उनके
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