मना ला मना ला रे भौंरा रूठे पिया को मना ला
रूठे ख़्वाजा को मना ला अजमेरी दाता को मना ला
पिया के कारन सय्याँ के कारन अंगना बोए रनूँ
ठाड़ी थाड़ी ताकूँ दुअरवा दुअरवा
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब-नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
हासिल-ए-ज़िंदगी थे तुम तुम से थी ज़िंदगी मेरी
तू ने निगाह फेर ली दुनिया बदल गई
दिल भी तुम्हारा जान भी तुम्हारी
बता दो ख़्वाजा कौन चीज़ हमारी
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब-नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
बिपती दसनयान 'अर्ज़ करत है
बिंती करत है पय्याँ पड़त है
जो हम पूत कपोत हैं तुम ही पिता को है लाज
अपना कर के राख्यो बाँह गए की लाज
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब-नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
मैं तो बिक चुका हूँ तोरए हाथ
रख लो मोरी लाज
सुल्तान-उल-हिंद ग़रीब-नवाज़
हिंदुल-वली ग़रीब-नवाज़
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब-नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
रसूल-अल्लाह के प्यारे मु'ईनुद्दीन अजमेरी
'अली के आँखों के तारे मु'ईनुद्दीन अजमेरी
सुन लो मोरी बिप्ता ग़रीब-नवाज़ ख़्वाजा
'अर्ज़ी क़ुबूल हो सदक़ा बंदा-नवाज़ ख़्वाजा
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब-नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
तुम को हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा का वास्ता ख़्वाजा
'अली मुर्तज़ा मुश्किल-कुशा का वास्ता ख़्वाजा
अपने मय-ख़ाने के मय-ख़्वारों का सदक़ा ख़्वाजा
दिल-ए-वीराँ को बना काशाना-ए-अल्लाह ख़्वाजा
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब-नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
तुम को 'उस्मान हरूनी का वास्ता ख़्वाजा
तुम को हाजी शरीफ़ ज़ंदनी का वास्ता ख़्वाजा
तुम को मौदूद चिश्ती का वास्ता ख़्वाजा
तुम को अबू यूसुफ़ चिश्ती का वास्ता ख़्वाजा
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब-नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
अपने कुत्बुद्दीन प्यारे का सदक़ा ख़्वाजा
फ़रीदुद्दीन गंज-ए-शकर का सदक़ा ख़्वाजा
महबूब-ए-इलाही निज़ामुद्दीन औलिया का सदक़ा ख़्वाजा
नसीरुद्दीन रौशन चराग़ देहली का सदक़ा ख़्वाजा
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब-नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
दरवाज़े पर तेरे जो कोई 'इज्ज़ से आवे
अलबत्ता यक़ीन है कि वो महरूम न जावे
क़िस्मत में न हो जिस के ये तो भी वो पावे
तू वो है कि तक़दीर की बिगड़ी को बनावे
दरवाज़े का हूँ तेरे गदा भीक दो मेरी
महरूम न रख मुझ को कि है साल की फेरी
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब-नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
सब की नय्या पार लगायो
मोरी नय्या बीच मझधार
हिन्द के राजा तुम जग के दाता
हसनैन-ओ-'अली का वास्ता कर दो बेड़ा पार
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
ग़रीब हम हैं ग़रीबों की भी ख़ुशी हो जाए
नज़र-ए-हुज़ूर इधर भी कभी-कभी हो जाए
ग़रीब हम हैं ख़्वाजा मेरा ग़रीब नवाज़
अजमेरी दाता संजर वाले पिया ग़रीब नवाज़
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
रहम कर रहम कर हुसैन इब्न-ए-'अली का सदक़ा
तेरे मोहताज तेरे दर पर सदा देते हैं
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
ब-गर्दाब-ए-बला उफ़्ताद कुश्ती
ग़रीब-ओ-ना-तवाँ रा तू पुश्ती
ब-हुर्मत-ए-ख़्वाजा-ए-’उस्मान-ए-हारून
मदद कुन या मु'ईनुद्दीन चिश्ती
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
बर दर-ए-तू सिर्र-निहादः
सुल्तान-ए-तू ग़मगीं फ़ितादः
अल-मदद ऐ मेरे ख़्वाजा
या वली-उल-हिंद-ओ-राजा
मोरी आस न तोड़ो ग़रीब नवाज़
तोहार मर्ज़ी पत राखो न राखो
स्रोत :
- पुस्तक : Safina-e-Sultan (पृष्ठ 2)
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