मिरी हर आन महबूब-ए-इलाही
रोचक तथ्य
منقبت در شان محبوبِ الٰہی خواجہ نظام الدین اؤلیا (دہلی-بھارت)
मिरी हर आन महबूब-ए-इलाही
तिरे क़ुर्बान महबूब-ए-इलाही
दर-ए-'इरफ़ान-ए-बारी खोलता है
तिरा 'इरफ़ान महबूब-ए-इलाही
’उरूज-ओ-औज क़दमों में पड़े हैं
ये तेरी शान महबूब-ए-इलाही
जहान-ए-मा'रिफ़त में है नुमायाँ
तिरा ऐवान महबूब-ए-इलाही
विला की मम्लिकत है नाम जिन के
हैं वो सुल्तान-ए-महबूब-ए-इलाही
हर इक मुश्किल मिरी तेरे करम से
हुई आसान महबूब-ए-इलाही
मिरी हसरत 'आलाउद्दीन साबिर
मिरा अरमान महबूब-ए-इलाही
तिरी चश्म-ए-'अता रक्खे हमेशा
हमारा ध्यान महबूब-ए-इलाही
बने मर्ज़ी ख़ुदा-ए-आब-ओ-गिल की
तिरा फ़रमान महबूब-ए-इलाही
सजा है तेरी मिदहत के गुलों से
मिरा दीवान महबूब-ए-इलाही
तिरी सीरत में जो कज ढूँडते हैं
वो हैं नादान महबूब-ए-इलाही
तुम्हारी जुम्बिश-ए-लब खोलती है
दर-ए-इम्कान-ए-महबूब-ए-इलाही
मह-ए-बुर्ज-ए-’अता-ओ-जूद ठहरा
तिरा दरबान महबूब-ए-इलाही
मिसाली हो अमीरान-ए-सुख़न में
मिरी पहचान महबूब-ए-इलाही
चले आओ कि दिल की आरज़ू का
थमे तूफ़ान महबूब-ए-इलाही
हरीम-ए-क़ुर्ब में ठहराया जिस को
हुआ ज़ीशान महबूब-ए-इलाही
नवाज़े नूर को हर लम्हा हर पल
तिरा फ़ैज़ान महबूब-ए-इलाही
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