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नहीं मेरा कोई हामी ख़ुदावंदा सिवा तेरे

ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मजज़ूब

नहीं मेरा कोई हामी ख़ुदावंदा सिवा तेरे

ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मजज़ूब

MORE BYख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मजज़ूब

    रोचक तथ्य

    حسن آپ کا پہلا تخلص ہے۔

    नहीं मेरा कोई हामी ख़ुदावंदा सिवा तेरे

    सुनाऊँ किस को मैं हाल-ए-परागंदा सिवा तेरे

    फँसा है मुर्ग़-ए-दिल बे-तर्ह मेरा बंद-’इस्याँ में

    छुड़ा दे कौन किस से ये खुले फंदा सिवा तेरे

    ज़मीं क्या आसमाँ क्या कोह क्या गुलज़ार-ओ-सहरा क्या

    सभी हो जाएँगे इक दिन परागंदा सिवा तेरे

    नगीन-ए-दिल से मिट जाए निशान-ए-’आलम-ए-फ़ानी

    किसी शय का नक़्श उस में रहे कुंदा सिवा तेरे

    हो मतलब किसी से याद तेरी मेरी हमदम हो

    कोई काम हो मुझ को कुछ धंदा सिवा तेरे

    गुनाह जितने ही हों लेकिन बता सकता हूँ हाँ इतना

    करम हैं मेरे जुर्मों से ख़ुदावंदा सिवा तेरे

    'हसन' ऊपर तिरे फ़रियाद लाया नफ़्स सर-कशी की

    मदद चाहे भला किस से तिरा बंदा सिवा तेरे

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    नूर अहमद क़ासमी

    नूर अहमद क़ासमी

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