या जीलानी शैइन लिल्लाह या जीलानी शैइन लिल्लाह
या जीलानी शैइन लिल्लाह या जीलानी शैइन लिल्लाह
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
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रोचक तथ्य
منقبت در شان غوث پاک شیخ عبدالقادر جیلانی (بغداد-عراق)
या जीलानी शैइन लिल्लाह या जीलानी शैइन लिल्लाह
या जीलानी शयइन लिल्लाह अल-मदद बे-इज़्निल्लाह
आप का हो कर हाल-ए-तबाह आओ मदद को शाहंशाह
चिल्लाता हूँ शाम-ओ-पगाह या जिलानी शैइन लिल्लाह
एक तरफ़ शैतान मरीद एक तरफ़ ये नफ़्स पलीद
मुझ को नहीं है कुछ उम्मीद तेरे सिवा ऐ 'आली-जाह
कब तक हो ये आह-ओ-बुका मेरे मरज़ की कर दे दवा
एक नज़र मेरे मौला हाल मिरा है सख़्त तबाह
हो न मदद में कुछ ताख़ीर दुश्मन हैं बरना-ओ-पीर
कीजिए मदद या दस्तगीर ग़ौस-ए-आ'ज़म शाहंशाह
मैं हूँ बुरा पर तेरा हूँ हूँ रुस्वा पर तेरा हूँ
हूँ क्या क्या पर तेरा हूँ तेरा हूँ दे मुझ को पनाह
किछ भि नहीं मुज्झ मैं तक़्वा सब से बर्रा हौं सब से बर्रा
तू अच्छा है तू अच्छा 'अब्दुल-क़ादिर शाहंशाह
मेरे दिल में हिमत हो दूर ये सारी कुल्फ़त हो
'इज़्ज़त हो और हुरमत हो पाऊँ मुरादें ख़ातिर-ख़्वाह
आप की चश्म-ए-'इनायत हो हाल में मेरे रहमत हो
आप तो शान-ए-'अज़्मत हैं बादशह-ए-बा-तख़त-ए-ओ-कुलाह
माना है ये सब से हक़ीर 'हसरत'-ए-'आजिज़ पर तक़्सीर
तेरे दर का पर है फ़क़ीर या जीलानी शैइन लिल्लाह
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