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Sufinama

तुम सगरे जगत के मन-मोहन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया

मंज़ूर आरफ़ी

तुम सगरे जगत के मन-मोहन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया

मंज़ूर आरफ़ी

MORE BYमंज़ूर आरफ़ी

    रोचक तथ्य

    منقبت در شان محبوب جل و علا حضرت سیدنا امیر ابوالعلا (آگرہ-اتر پردیش)

    तुम सगरे जगत के मन-मोहन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया

    मोरे नैन तरसते हैं बिन-दर्शन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया

    तुई दीन धरम मुझ दासी का तुई लाज शरम मुझ निर्गुन की

    तोरी प्रीत की जपती हूँ सुमिरन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया

    हर हर के धनी मोरी लीजो खबर मो पे राख्यो तुम किरपा की नजर

    है दूर नगर डगरी है कठिन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया

    जग के खिवय्या डूबत हूँ मोरी जीवन नय्या पार करो

    मैं का से कहूँ करूँ कौन जतन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया

    सब नाते तोड़ चुकी निर्धन मैं तुम्हरे द्वारे आन पड़ी

    अब तुम ही हो मोरा तन मन धन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया

    है राज तुम्हारा जीवन पर तुम दूर नहीं मन मंदिर से

    है तुम ही से मोरी लागी लगन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया

    स्रोत :
    • पुस्तक : कलाम-ए-मंज़ूर आरफ़ी (संपादक हसन नवाज़ शाह) (पृष्ठ 43)
    • प्रकाशन : मख़दूमा अमीर जान लाइब्रेरी, नराली (2024)
    • संस्करण : First

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