तुम सगरे जगत के मन-मोहन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया
रोचक तथ्य
منقبت در شان محبوب جل و علا حضرت سیدنا امیر ابوالعلا (آگرہ-اتر پردیش)
तुम सगरे जगत के मन-मोहन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया
मोरे नैन तरसते हैं बिन-दर्शन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया
तुई दीन धरम मुझ दासी का तुई लाज शरम मुझ निर्गुन की
तोरी प्रीत की जपती हूँ सुमिरन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया
हर हर के धनी मोरी लीजो खबर मो पे राख्यो तुम किरपा की नजर
है दूर नगर डगरी है कठिन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया
ऐ जग के खिवय्या डूबत हूँ मोरी जीवन नय्या पार करो
मैं का से कहूँ करूँ कौन जतन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया
सब नाते तोड़ चुकी निर्धन मैं तुम्हरे द्वारे आन पड़ी
अब तुम ही हो मोरा तन मन धन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया
है राज तुम्हारा जीवन पर तुम दूर नहीं मन मंदिर से
है तुम ही से मोरी लागी लगन मोरे अबुल-उ'ला सय्यदना पिया
- पुस्तक : कलाम-ए-मंज़ूर आरफ़ी (संपादक हसन नवाज़ शाह) (पृष्ठ 43)
- प्रकाशन : मख़दूमा अमीर जान लाइब्रेरी, नराली (2024)
- संस्करण : First
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