Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama

ना'त-ओ-मनक़बत

ना’त हज़रत मुहम्मद (PBUH) की शान में लिखे गए कलाम को कहते हैं। ना’त को हम्द के बा’द पढ़ा जाता है। मनक़बत किसी सूफ़ी बुज़ुर्ग की शान में लिखी गयी शायरी को कहते हैं। हम्द और ना’त के बा’द अक्सर क़व्वाल जिस सूफ़ी बुज़ुर्ग के उर्स पर क़व्वाली पढ़ते हैं उनकी शान में मनक़बत पढ़ी जाती है।

हाजी वारिस अ’ली शाह के चहेते मुरीद जिन्हों ने पीर-ओ-मुर्शिद के हुक्म पर जंगल में ज़िंदगी गुज़ारी

सादा-मिज़ाज और कम-गुफ़्तार वाला एक वारसी शाइ’र

1866 -1946

सबसे लोकप्रिय उत्तर क्लासिकी शायरों में प्रमुख/अमीर मीनाई के शार्गिद/दाग़ देहलवी के बाद हैदराबाद के राज-कवि

-1640

अ’ह्द-ए-शाह जहानी का मा’रूफ़ शाइ’र

1414 -1492

सूफ़ियाना शे’र कहने वाला एक आ’लमी शाइ’र और मुसन्निफ़

1919

अफ़्क़र मोहानी के शागिर्द-ए-रशीद

1946

नूर नूही के साहब-ज़ादे और बज़्म-ए-नूर, आरा के सरपरस्त

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए