Font by Mehr Nastaliq Web

श्री ब्रन्दावन मो यदुराज बिराजत है

अमृत राय

श्री ब्रन्दावन मो यदुराज बिराजत है

अमृत राय

MORE BYअमृत राय

    श्री ब्रन्दावन मो यदुराज बिराजत है

    गीत नृत्यगति हावभाव किति धिमिकिं धिमिकिं धिमि

    मृदंग नवघन घोर गरज पखवाज राज सीताज ताज की

    आवाज़ गहरे थरन होत यत झनन झनन झनन झांजरी

    इतन मोल की ढोल की गत घुम घुम घुम घुम

    नाद जम रह्यो तामो मुरली तनन तनन

    उजल अलोटी कोयलकंठी कृष्णा कंठ सो लपट लपट के

    तान लपट के निपट मुलायम तीन ग्राम यकवीस मूर्छना

    यम सो येक अलाफ सवाई सुखी सोत वृखभान जवाई

    उप्पर थाट विमान सुरनर गुमान 'अमृतराय' ने

    अधरांगुलि दे दे थक्कित रहै श्री बृन्दाबन मो ना

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY
    बोलिए