रणखांम गढा अस्मान बराबर, ध्वजाउंच
रणखांम गढा अस्मान बराबर, ध्वजाउंच,
नव लाख देखते लोक खलक सब मुलुख मुलख के,
करोर हाती, घोरे तेजी, उंटू पालखी रथ गाडीया,
करोर लष्कर , तहामें बूबखूब बिलंदी, दसानन घन
सुभान अल्ला, औ मतवाला, खूब बना दौलत का प्याला,
दादा आदम की अजब लीला, कांचन का तो कोर बना है,
चौफेर जिन खंदक क्यारी, भरे जोर दरयांव दर्दकर,
कहा करे भाई वो राम लछिमन, भरत सत्रुघन, वाली,
सुग्रिव, बंदर लंगुर, बैन बैन को घुमा चौकडे,
खानेवाले देखो यारो,
थरथर थरथर दसानन के कंपत भये बीस भुजा ।देखो रे0।।
एतन मो जि रामचन्द्र की चढ़ी फौज ज्या पडी लंक पर,
अढी आढाकर सिडी आनपर, भिडी बांधकर,
खडी बाह पर, बडी लढाई, चढी लंक पर,
चन्द्र सुरज दो डाउ डाउकर नडा छूटकर
खडा मेघ गडगडा गुमानिल लडा उठकर खडा लढा,
लाहु सननननननन्त बान छूटे छच्छननननननन,
खर्ग बाजे खक्खननननननन, तोल बाजे दछनननननन,
गगनबीच घघनननननननन, मेघनाद कंकडडडडडडडडड,
पटे बाजे बभरररररररर, बाके तीर सस्सररररररररर
उडे फुल जब सुले हाती, गिरे सिपाई फते राम की,
खुले लाल गुलाल सिंधुकर, रावनमारा राकेस घेरा,
तमाम सारा, भागे लोक कुल लंक लुटाई,
निशाण चढाया दुहाई फिरे रामराजा ।।देखो रे0।।
लुटी लंक जब खटपट कठोर, चटपट चटणी लटपट लहणी,
निकट भुवन घर खटाटोप पट द्रुमकुट द्रिकिट दधधीमपधीमप,
अनुहत बाजे तनित परंम पटे हर राम राम घनश्याम,
सुंदर नरनाम जपजे कामपूरणधाम त्रिकुट दे धाम,
बिभीषण ढाव अचल दे सीता सकल निल महानील,
पेर सबल सेतुबल अंगद मैतरु सुक्र सुक्षणघन
जांबुवंत हनुमान गनत दुर्वास ब्रह्म ऋषी,
वसिष्ट विश्वामित्र प्रतिनाम पौलस्त्य भार्गव,
भारद्वाज अंगिर मांडेय गुरु पैगंबर पूजत
रामराम सुखधाम सलकसब कामपूर्ण परब्रह्म
सनातन कविजन पुष्पवृष्टि करत जयजयकार करत,
कहे अमृतराय सब लंगरऊपर ज्या बैठे सब,
देव बजावत अनुहात वाजे बाजा।।देखो रे0।।
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