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अचल राज करो कोट बरस लों चिरंजीव रहो जसुमत तेरो लाल दरस देख

बैजू बावरा

अचल राज करो कोट बरस लों चिरंजीव रहो जसुमत तेरो लाल दरस देख

बैजू बावरा

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    अचल राज करो कोट बरस लों चिरंजीव रहो जसुमत तेरो लाल दरस देख

    भये निहाल मैं जोगी सुख पायो मेरे जिय आनंद भयो उर समान है

    जौंलो ध्रुव धरन तारो जीवे तेरो राज दुलारो तौंलो रवि ससि सुमेर गगन पवन

    पानि लोमंच की सी आर्बल होय ये अशीश दे जात है

    डिम डिम डमरू बजाए सिंगींनाद कर मुख से गाये महादेवजु दरसन पाए

    अलख की छवि निरख मंद मंद मुसक्यात है

    पाँच बार फेरी कर कछु श्रवण लाग मंत्र धर बैजूनाथ कैलास के वासी प्रेम मगन

    नाचे तांडव लसीतकवंग तकड्थुंगा निरतत अपने मन सुख पात हैं

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