अथ वन्दना- नमो नमो निरंजनम्, निराकार निरलेपकम।।
अथ वन्दना- नमो नमो निरंजनम्, निराकार निरलेपकम।।
महात्मा सेवादास जी
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नमो नमो निरंजनम्, निराकार निरलेपकम।।
सहजानन्द अखण्ड ब्रह्म, अजरौ, अमर, अनूपकम।।
गुरु पूर्ण परमानन्द है, गुरु अवगति आप अनंत।।
गुर व्यापक सब ही मांड मैं, गुरु निराकार भगवन्त।।
अनन्त कला प्रकास गुरु, भयो तिमर को नास।।
जन सेवादास बन्दन करै, हिरदै चरण निवास।।
गुरु गोबिंद की वन्दना, द्वैत भेद कछु नांहि।।
ऐसो जाणि प्रणाम करि, सबै विघन मिटि जाहिं।।
गुरु पूरण आप अनन्त है, सब विधि पुरवै काज।।
पार उतारे सिष्य कूं, बैठे अजर जहाज।।
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