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Sufinama

जउ हम बाँधे मोह फाँस हम प्रेम बंधनि तुम बाँधे

रैदास

जउ हम बाँधे मोह फाँस हम प्रेम बंधनि तुम बाँधे

रैदास

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    जउ हम बाँधे मोह फाँस हम प्रेम बंधनि तुम बाँधे

    अपने छूटन को जतनु करहु हम छटे तुम अराधे

    माधवे जानत हहु जैसी तैसी अब कहा करहुगे ऐसी

    मीनु पकरी फांकिउ अरु काटिउ रांधि कीउ बहुबानी

    षंड षंड करि भोजन कीनो तऊ बिसारिउ पानी

    आपन वापै नाहीं किसी को भावन को हरि राजा

    मोह पटलु सभु जगतु बिआपिउ भगत नहीं संतापा

    कहि 'रविदास' भगति इक बाढ़ी अब इह कासिउ कहीऐ

    जा कारनि हम तुम अराधे, सो दुषु अजहूं सहीऐ

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