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जो मिट्टी का महल बना है उस का कौन ठिकाना है

कवि दिलदार

जो मिट्टी का महल बना है उस का कौन ठिकाना है

कवि दिलदार

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    जो मिट्टी का महल बना है उस का कौन ठिकाना है

    जिस पिंजरे के अंदर जानो आकर पवन समाना है

    रहना ही मुश्किल उस का है अजब नहीं कुछ जाना है

    समझे जो 'दिलदार' उसे सो जानो बड़ा सियाना है

    स्रोत :
    • पुस्तक : Dildar ke dohe (पृष्ठ 23)
    • रचनाकार : Sant kavi dildar
    • प्रकाशन : Khuda bakhsh oriental publick library, Patna (1991)
    • संस्करण : 1

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