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सुरत की शुद्धि - गुरु घाट चलो मन भाई, सुरत चदरिया लेव धुवाई।।

शिवदयाल सिंह

सुरत की शुद्धि - गुरु घाट चलो मन भाई, सुरत चदरिया लेव धुवाई।।

शिवदयाल सिंह

MORE BYशिवदयाल सिंह

    गुरु घाट चलो मन भाई, सुरत चदरिया लेव धुवाई।।

    सेवा साबन दर्शन मंजन, प्रेम की नीर भराई।।

    बचन की रेह भाव की भाठी, बिरह की अगिन जराई।।

    भक्ति नदी जहं निस दिन बहती, मल मल तामें मैल गंवाई।।

    उज्जल निर्मल हुई सुरत जब, ओढ़त मन अब अति हरखाई।।

    चला गगन पर मिला शब्द सँग, चढ़त चढ़त त्रिकुटी ढिंग आई।।

    सुन्न शिखर चढ़ हंस रूप धर, महासुन्न छबि औरहि पाई।।

    भंवर गुफा पर सोहं सोहं, सत लोक सत सोहं गाई।।

    अलख अगम को देखत देखत, राधास्वामी चरनन जाय समाई।।

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