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Sufinama

क्वार- क्वार कुल की भीर भारी, रूप शोभा धाम रे ।

तुलसीदास (ब्रजवासी)

क्वार- क्वार कुल की भीर भारी, रूप शोभा धाम रे ।

तुलसीदास (ब्रजवासी)

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    क्वार कुल की भीर भारी, रूप शोभा धाम रे

    देखिके जिन भूल कोऊ, नाहिँ आवत काम रे ।।

    बसत पक्षी वृक्ष पै निशि, आय के बहु भाँति रे

    प्रातही दिशि समुझ अपनी, तुरतही उड़ि जात रे ।।

    पंथ में पंथी अनेकन, जुरे सरिता घाट रे

    नाव चढ़ि भये पार पैले, गये निज निज बाट रे ।।

    ऐसही चल जात सब जग, जात नहिँ कोइ साथ रे

    नेह कर भगवान सों, जग में सखा पिचु मात रे ।।

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