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ऐ तालिब-ए-फ़िरदौस ब-रौ सू-ए-मोहम्मद

अमीर हसन अला सिज्ज़ी

ऐ तालिब-ए-फ़िरदौस ब-रौ सू-ए-मोहम्मद

अमीर हसन अला सिज्ज़ी

MORE BYअमीर हसन अला सिज्ज़ी

    तालिब-ए-फ़िरदौस ब-रौ सू-ए-मोहम्मद

    चूँ ख़ुल्द-ए-बरीं आमदः दर कू-ए-मोहम्मद

    जन्नत के चाहने वालो, मुहम्मद की ओर दौड़ो, क्योंकि जन्नत की गलियों में ही उनका नूर है।

    का'बः तलब चंद कुनी क़त-ए’-बयाबाँ

    चूँ काब:-ए-उ’श्शाक़ बुवद रू-ए-मोहम्मद

    काबा जाने वालो, कब तक वीराने का सफ़र करोगे, इश्क़ वालों का काबा तो मुहम्मद का चेहरा है।

    वश्शमस चे बाशद सिफ़त-ए-वज्ह-ए-शरीफ़श

    वल्लैल चे बाशद सिफ़त-ए-मू-ए-मोहम्मद

    उनके मुबारक चेहरे की मिसाल “सूरज” है, मुहम्मद के बालों की मिसाल “रात” कही गई है।

    ताहा सिफ़तश आमदः अज़ हज़रत-ए-बारी

    यासीं ब-ख़ुदा गश्त कुन्ह-ए-सू-ए-मोहम्मद

    अल्लाह तआला ने उनकी सिफ़त “ताहा” से बयान की है, और “यासीन” से, खुदा की क़सम, मुहम्मद की ओर इशारा किया है।

    नून वल-क़लम अज़ फ़ज़्ल-ए-ख़ुदावंद-तआ'ला

    मा'लूम नमूद: बहम: ख़ू-ए-मोहम्मद

    ख़ुदा के फ़ज़्ल और करम से “नून” और “क़लम” से, मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के तमाम गुण प्रकट कर दिए गए हैं।

    ता-सीन-ओ-हा-मीम मुअ'म्मा-ए-क़ुरआनी

    रम्ज़ीस्त अ’याँ बर दिल-ए-हक़ जू-ए-मुहम्मद

    “तासीन” और “हामीम” क़ुरआन के राज़ हैं, सच्चाई तलाशने वाले उनके रहस्यों से भली-भाँति वाक़िफ़ हैं।

    पंद-ए-'हसन' ईनस्त अगर गोश बदारी

    तालिब-ए-फ़िरदौस ब-रौ सू-ए-मोहम्मद

    हसन की नसीहत अगर ध्यान से सुनो, तो यही है, कि जन्नत के चाहने वालो, मुहम्मद की ओर दौड़ो।

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