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Sufinama

’अज़ीम-उल-’अता या जज़ीलल-करम

शाह अमीन अहमद फ़िरदौसी

’अज़ीम-उल-’अता या जज़ीलल-करम

शाह अमीन अहमद फ़िरदौसी

MORE BYशाह अमीन अहमद फ़िरदौसी

    ’अज़ीम-उल-’अता या जज़ीलल-करम

    मुज़ील-उल-ख़ता या कफ़ीलल-उमम

    आप अज़ीम बख़्शिश करने वाले, बहुत ज़्यादा ख़ताओं को दरगुज़र फ़रमाने वाले और उम्मत की किफ़ालत करने वाले रसूल हैं।

    करीम-उल-बशर साहिब-ए-तीब-ओ-नश्र

    शफ़ी’-ए-’उसात-ए-उमम रोज़-ए-हश्र

    आप लोगों पर करम करने वाले, ख़ुशबू बिखेरने वाले और क़यामत में गुनाहगार उम्मत की शफ़ाअत करने वाले रसूल हैं।

    रशीदुन करीमुन 'अज़ीज़ुन हलीम

    हरीसुन ’अलैकुम रऊफ़ुर्रहीम

    आप सीधी राह पाने वाले, ग़लतियों को माफ़ करने वाले, शराफ़त बुज़ुर्गी वाले, उम्मत की मन्फ़अत के बड़े ख़्वाहिशमंद, मेहरबान और क़यामत के दिन काम आने वाले रसूल हैं।

    सलात-ए-फ़रावाँ ब-रूह-ए-तु बाद

    बराँ मर्क़द-ए-पुर-फ़ुतूह-ए-तु बाद

    आप की रूह पाक पर और आप के रौज़ा-ए-अनवर पर बे-शुमार रहमतें और दुरूद हो।

    बर आल-ओ-बर अस्हाब-ओ-अहबाब-ए-हम

    बराँ क़ुब्बः-ए-सब्ज़-ओ-अबवाब हम

    (आप के तुफ़ैल में) आप की आल पर, आप के असहाब पर, आप के अहबाब पर, आप के सब्ज़ गुम्बद पर और इस के दर-ओ-दीवार पर बे-शुमार रहमतें हों।

    बराँ रौज़ः-ए-पाक-ए-रैहान-ए-जाँ

    कि शुद रौज़तुम-मिन रियाज़िल-जिनाँ

    और इस रौज़ा-ए-पाक पर भी बे-शुमार रहमतें हों अल्लाह की, जो हमारी रूह के लिए ख़ुशबू और जन्नत के बाग़ का एक टुकड़ा है (यानी रियाज़ुल जन्नाह)।

    स्रोत :
    • पुस्तक : नग़मातुल उंस फ़ी मजालिसिल क़ुदस (पृष्ठ 334)
    • रचनाकार :शाह हिलाल अहमद क़ादरी
    • प्रकाशन : दारुल एशा'अत ख़ानक़ाह मुजीबिया (2016)
    • संस्करण : First

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