मनम अदना सना-ख़्वान-ए-मोहम्मद
मनम अदना सना-ख़्वान-ए-मोहम्मद
गु़लामे अज़ ग़ुलामान-ए-मोहम्मद
मैं हज़रत मोहम्मद का अदना सा मदहख़्वां और हज़रत मोहम्मद के ग़ुलामों का ग़ुलाम हूँ।
मोहम्मद हस्त मेहमान-ए-ख़ुदावंद
दो-'आलम हस्त मेहमान-ए-मोहम्मद
हज़रत मोहम्मद अल्लाह के मेहमान हैं और ये दोनों जहां आँ-हज़रत के मेहमान हैं।
दो-'आलम रोज़-ओ-शब दर गुफ़्तुगूयश
हम: क़ुरआन दर शान-ए-मोहम्मद
दोनों आलम रात-ओ-दिन आपकी ही बातें किया करते हैं, यहां तक कि पूरा क़ुरआन आपकी प्रशंसा करता है।
हम: 'आलम गदा-ए-कूचः-ए-ऊ
सिकंदर अज़ गदायान-ए-महम्मद
पूरी दुनिया उसकी गली की फ़क़ीर है और सिकंदर ख़ुद हज़रत मोहम्मद के दर का फ़क़ीर है।
तमामी अंबिया-ओ-औलियाहम
नमक ख़ुर्दन्द अज़ ख़्वान-ए-मोहम्मद
सारे ईश्वरीय दूत और सूफ़ी भी हज़रत मोहम्मद के नौकर हैं।
गुनह-गारम सियह-कारम व-लेकिन
ब-दस्तम हस्त दामान-ए-मोहम्मद
मैं गुनाहगार और पापी तो हूँ लेकिन हज़रत मोहम्मद का दामन मेरे हाथ में है।
न तन्हा हस्त 'आज़म' ना'त ख़्वानश
ख़ुदा-ए-मा सना-ख़्वान-ए-मोहम्मद
आज़म अकेला हज़रत मोहम्मद का नातख़्वां (मुहम्मद साहब की छंदोबद्ध स्तुति करने वाला) नहीं है, बल्कि हमारा अल्लाह ख़ुद हज़रत मोहम्मद का प्रशंसक है।
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