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Sufinama

ज़े-चश्म-ए-मय-परस्त-ए-यार मस्तम

ग़ुलाम हसन बीथवी

ज़े-चश्म-ए-मय-परस्त-ए-यार मस्तम

ग़ुलाम हसन बीथवी

MORE BYग़ुलाम हसन बीथवी

    ज़े-चश्म-ए-मय-परस्त-ए-यार मस्तम

    बया-ओ-नर्गीस-ए-मय-ख़्वार मस्तम

    मैं यार की मय-परस्त आँखों से मस्त हूँ

    मैं मय-ख़्वार की नर्गिस की याद में मस्त हूँ

    न-दारम कार बा मीना-ओ-साग़र

    मुदाम अंदर ख़याल-ए-यार मस्तम

    मुझे साग़र-ओ-मीना से क्या लेना देना

    मैं हमेशा यार के ख़याल में मस्त हूँ

    ख़बर अज़ हाल-ए-ख़ुद हरगिज़ न-दारम

    ज़े-दीदार-ए-कसे बिस्यार मस्तम

    मुझे अपने हाल की हरगिज़ ख़बर नहीं है

    मैं किसी के दीदार में मस्त हूँ

    नयम आगाह अज़ कैफ़ियत-ए-मय

    ब-बू-ए-खान:-ए-ख़म्मार मस्तम

    मुझे शराब की कैफ़ियत का ‘इल्म नहीं है

    मैं शराब फ़रोश के घर की ख़ुशबू में मस्त हूँ

    ब-सौदा-ए-रुख़-ए-मयगून-ए-जानाँ

    'हसन' दर कूचः-ओ-बाज़ार मस्तम

    महबूब के सुर्ख़ चेहरे के शौक़ में

    ‘हसन’ मैं कूचा-ओ-बाज़ार में मस्त हूँ

    स्रोत :
    • पुस्तक : नग़्मात-ए-सिमा (पृष्ठ 202)
    • प्रकाशन : नूरुलहसन मौदूदी साबरी (1935)

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