ऐ ’आरिफ़ाँ रा पेशवा गाहे नज़र बर मन फ़िगन
ऐ ’आरिफ़ाँ रा पेशवा गाहे नज़र बर मन फ़िगन
ऐ ’आशिक़ाँ रा रहनुमा गाहे नज़र बर मन फ़िगन
ऐ आरिफ़ों के इमाम और रहनुमा कभी मुझ पर भी नज़र हो, और ऐ आशिक़ों के पेशवा और सरदार कभी मेरी तरफ़ भी नज़र हो।
ऐ मुक़्तदा-ए-औलिया गाहे नज़र बर मन फ़िगन
ऐ पेशवा-ए-अंबिया गाहे नज़र बर मन फ़िगन
ऐ वलियों के पेशवा और रहनुमा कभी मुझ पर भी नज़र हो, और ऐ नबियों के सैयद-ओ-सरदार कभी मेरी तरफ़ भी नज़र हो।
ऐ सरवर-ए-दुनिया-ओ-दीं ऐ रहमतुल-लिल-'आलमीन
ऐ मालिक-ए-ताज-ए-दिला गाहे नज़र बर मन फ़िगन
ऐ दीन-ओ-दुनिया के सरदार और दो जहां की रहमत और ऐ दिलों के मालिक और बादशाह कभी मुझ पर भी नज़र हो।
ऐ चारः-ए-दर्द-ए-निहाँ ऐ दारू-ए-जाँ-तपाँ
ऐ वाक़िफ़-ए-सिर्र-ए-ख़ुदा गाहे नज़र बर मन फ़िगन
ऐ छुपे हुए दर्द के दूर करने वाले और ऐ उदास और शोकाकुल लोगों की पनाहगाह और ऐ ख़ुदाई राज़ों के जानने वाले कभी एक नज़र मुझ पर भी हो।
ऐ वाक़िफ़-ए-असरार-ए-दिल कश्शाफ़ रम्ज़-ए-आब-ओ-गिल
ऐ महव-ए-ज़ात-ए-किबरिया गाहे नज़र बर मन फ़िगन
ऐ दिलों के राज़ों से वाक़िफ़ और ऐ मिट्टी और पानी (तख़लीक़) के राज़ से परिचित और ऐ ज़ात-ए-इलाही में मगन होने वाले कभी एक नज़र मुझ पर भी हो।
सरगश्तः-ओ-आवारःअम बे-चारः-ओ-ना-कारःअम
अज़ कार-ए-ख़ुद दारम हया गाहे नज़र बर मन फ़िगन
मैं हैरान-ओ-परेशान और बेचारा और बेकार हूँ, मुझे मेरे कारनामों से शर्म आती है लेकिन कभी तो एक नज़र मुझ पर भी हो।
बहर-ए-सख़ा बहर-ए-'अता शम्सुज़्ज़हा बदरुद्दुजा
नूर-उल-हुदा कहफ़ुल-वरा गाहे नज़र बर मन फ़िगन
ऐ दानशीलता और इन'आम के समंदर और सूरज और चांद से ज़्यादा रौशन और नूरी-ओ-पनाहगाह कभी एक नज़र मुझ पर भी हो।
शाह-ए-'अरब वाला हसब उम्मी लक़ब 'आली नसब
अज़ लुत्फ़-ए-तू ख़्वाहम शिफ़ा गाहे नज़र बर मन फ़िगन
ऐ अरब के शाह और आला नसब और बलंद मर्तबा और उम्मी की उपाधि धारण करने वाले, तेरी ही मेहरबानी और इनायत से हमें रोग से मुक्ती मिलेगी, कभी एक नज़र मुझ पर भी हो।
'आजिज़ रहीम-ए-ख़स्तःअम शैदा-ए-तू जान-ओ-दिलम
बहर-ए-ख़ुदा बहर-ए-ख़ुदा गाहे नज़र बर मन फ़िगन
यह कमज़ोर, मजबूर और लाचार रहीम दिल-ओ-जान से आपका चाहने वाला है ख़ुदा के वास्ते ख़ुदा के वास्ते कभी एक नज़र मुझ पर भी हो।
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