दिलम मलाल गिरफ़्त अज़ जहाँ व हर-चे दरूस्त
दिलम मलाल गिरफ़्त अज़ जहाँ व हर-चे दरूस्त
दरून-ए-ख़ातिर-ए-मन कस न-गुंजद इल्ला दोस्त
मैंने दुनिया की सभी वस्तुओं से अपना मुख मोड़ लिया है। यदि मेरे ध्यान में कोई वस्तु समाई हुई है तो वह है मेरे यार का मुखड़ा।
अगर ज़े-गुलशन-ए-वस्लत ब-मा रसद बोए
दिलम चू ग़ुंचः ज़े-शादी न-गुंजद अंदर पोस्त
यदि तेरे मिलन की तनिक सी सुगन्ध भी मुझे मिल जाय तो मेरा हृदय प्रसन्नता से ओत-प्रोत हो जाये।।
नसीहत-ए-मन-ए-दीवान: दर तरीक़त-ए-इश्क़
हम आँ हिकायत-ए-दीवान:-ओ-सग-ओ-सुबू-अस्त
मुम पागल को प्रणय-मार्ग में उपदेश करना एक पागल, पत्थर और घड़े की कहानी से उपमा देना है।
बगो ब-ज़ाहिद-ए-ख़लवत-नशीं कि ऐब मकुन
अज़ीं कि गोश:-ए-मेहराब-ए-मा ख़ुम-ए-अबरू-अस्त
उसके ध्यान में मग्न बैठे हुये साधु से कह दो कि वह मुझे यह कह कर कि मैंने उसकी कुटियों के झुकाव को ही अपनी कुटिया की मेहराब बना रक्खा है, बदनाम न करे।
मियान-ए-का'ब-ओ-मय-ख़ान: हेच फ़िरक़े नीस्त
ब-हर-तरफ़ कि नज़र मी-कुनी बराबर उस्त
सिर मुड़ाने अथवा दाढ़ी रखने से ही कोई सन्यासी नहीं हो जाता। इस मार्ग पर जो कि बाल के समान पतला है, चलना बहुत ही कठिन है।
क़लंदरी न बरीश अस्त व मूए या अबरू
हिसाब-ए-राह-ए-क़लंदर बदाँ कि मू-ए-ब-मू-अस्त
गुज़श्तन अज़ सर-ए-मू दर क़लंदरी सहल-अस्त
चू 'हाफ़िज़' आँ कि ज़-सर ब-गुज़रद क़लंदरू-अस्त
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