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मा गदायान-ए-ख़ैल सुल्तानेम

अहमद जाम

मा गदायान-ए-ख़ैल सुल्तानेम

अहमद जाम

MORE BYअहमद जाम

    मा गदायान-ए-ख़ैल सुल्तानेम

    बसर-ए-मुल्क-ए-इ’श्क़ सुल्तानेम

    हम बादशाहों के सिलसिले के फ़क़ीर हैं और मोहब्बत के देश के बादशाह हैं।

    महरम-ए-सिर्र-ए-ली-मअ'ल्लाह एम

    आ'लिम-ए-नुक्त:-ए-ख़ुदा दानेम

    हम ली माअल्लाह (ख़ुदा हमारे साथ है) के रहस्य को जानने वाले हैं और हम ही ख़ुदा के इल्म के जानने वाले हैं।

    चूँ नज़र बर जमाल-ए-ख़ुद कर्देम

    आ’शिक़-ए-हुस्न-ए-ख़्वेश-ओ-हैरानेम

    जब हम ने अपने हुस्न और ख़ूबसूरती को देखा तो अपने ही हुस्न के इश्क़ में पड़ गए।

    आयत-ए-मुस्हफ़ अज़ जमाल-ए-वजूद

    अज़ अज़ल ता-अबद हमी-ख़्वानेम

    हमने ईश्वर के अस्तित्व के क़ुरआन की आयत को आदिकाल से पढ़ा है।

    मुर्ग़-ए-लाहूती-एम-ओ-तायर-ए-क़ुद्स

    बाज़ ब-निगर कि मा चे मुर्ग़ानेम

    हम ब्रह्मलोक के पवित्र परिंदे हैं, दोबारा देखो कि हम किस तरह के परिंदे हैं।

    गाह लैला-ओ-गाह मज्नूनेम

    गाह पैदा-ओ-गाह पिन्हानेम

    कभी हम लैला हैं तो कभी मजनूं, कभी हम नज़र आते हैं तो कभी छिप जाते हैं।

    हम-चू 'अहमद' ब-हल्क़:-ए-रिन्दाँ

    रिंद-ए-ख़ुद-बाज़-ओ-दर्द-ए-मस्तानेम

    अहमद की तरह शराबियों के बीच हम कभी शराबी हैं तो कभी शराबियों का दर्द हैं।

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